राहुल गांधी शुरू करने जा रहे हैं ‘भारत डोजो यात्रा’, जानिए क्या है DOJO का मतलब?
Bharat Dojo Yatra: नेशनल स्पोर्ट्स डे के मौके पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक खास वीडियो शेयर किया है। जिसमें वे जिउ-जित्सु मार्शल ऑर्ट्स की प्रैक्टिस करते नजर आ रहे हैं।
राहुल गांधी ने वीडियो के कैप्शन में लिखा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, जब वे और उनके साथी हजारों किलोमीटर की यात्रा कर रहे थे। तो वे हर शाम जिउ-जित्सु की प्रैक्टिस किया करते थे। इस समय के दौरान उनका यह रूटीन एक महत्वपूर्ण गतिविधि बन गया। जिसमें स्थानीय लोगों और युवा मार्शल आर्ट छात्रों को भी शामिल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रैक्टिस के माध्यम से उनकी यात्रा एक कम्युनिटी एक्टिविटी में बदल गई। जो यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर लोगों को जोड़ने का एक तरीका था।
During the Bharat Jodo Nyay Yatra, as we journeyed across thousands of kilometers, we had a daily routine of practicing jiu-jitsu every evening at our campsite. What began as a simple way to stay fit quickly evolved into a community activity, bringing together fellow yatris and… pic.twitter.com/Zvmw78ShDX
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 29, 2024
जल्द शुरू होगी ‘भारत डोजो यात्रा’
राहुल गांधी ने लिखा कि ‘उनकी जिउ-जित्सु प्रैक्टिस’ का उद्देश्य सिर्फ फिटनेस नहीं था। बल्कि यह युवाओं को ‘जेंटल आर्ट्स’ की सुंदरता से परिचित कराना भी था। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे जल्द ही ‘भारत डोजो यात्रा’ शुरू करने वाले हैं। इस यात्रा का उद्देश्य मार्शल आर्ट्स की प्रैक्टिस को बढ़ावा देना और समाज में हिंसा को कम करने के लिए एक सशक्त समाधान प्रदान करना है।
‘डोजो’ एक जापानी शब्द है। जिसका मतलब है। मार्शल आर्ट्स का प्रशिक्षण हॉल या स्कूल। वीडियो में देखा जा सकता है कि वे बच्चों और युवाओं के साथ जिउ-जित्सु का अभ्यास कर रहे हैं। यह यात्रा उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने का एक प्रयास है। यह उनकी राजनीतिक रणनीति का एक हिस्सा भी हो सकता है। जिसमें वे विरोधियों को भी ‘सियासी मार्शल आर्ट्स’ के माध्यम से चुनौती दे सकते हैं।
2022 में शुरू हुई थी भारत जोड़ो यात्रा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, जो 2022में शुरू हुई थी। जिसमें उन्होंने व्यापक जनसमर्थन प्राप्त किया था। उन्होंने लगभग 150दिनों तक पैदल यात्रा की थी, जिसमें उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर और मणिपुर से गुजरात तक की यात्रा की। भले ही विधानसभा चुनावों में यात्रा का प्रभाव तत्काल स्पष्ट नहीं हुआ, लेकिन लोकसभा चुनावों में इसे महत्वपूर्ण लाभ मिला। इस यात्रा ने उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को एक नया मोड़ दिया और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई।
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