‘मोदी सरकार ने बैंकों को बनाया जन-धन की लूट का साधन!’, PMJDY को लेकर खरगे का बड़ा बयान
Sandesh Wahak Digital Desk: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री जनधन योजना के 10 साल पूरे होने के मौके पर बुधवार को दावा किया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय की वित्तीय समावेशन योजना का नाम बदलकर ‘जनधन’ कर दिया गया और आज उसी की वर्षगांठ है।
उन्होंने यह सवाल भी किया कि क्या यह सच नहीं कि 10 करोड़ से ज़्यादा जनधन बैंक खाते बंद हो चुके हैं, जिनमें क़रीब 50 प्रतिशत बैंक खाते महिलाओं के थे? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत के कुछ महीनों बाद 28 अगस्त, 2014 को जनधन योजना की शुरुआत की थी।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया क्या यह सच नहीं कि 10 करोड़ से ज़्यादा जनधन बैंक खाते बंद हो चुके हैं, जिनमें क़रीब 50 प्रतिशत बैंक खाते महिलाओं के थे? इनमें दिसंबर 2023 तक 12,779 करोड़ रुपये जमा थे। कुल जनधन खातों में से 20 प्रतिशत खाते बंद होने का ज़िम्मेदार कौन है?
उन्होंने कहा ‘क्या ये सही नहीं है कि पिछले 9 वर्षों में जनधन खातों में औसत बैलेंस 5000 रुपये से कम यानी सिर्फ 4,352 रुपये है? इतने से पैसों में, भाजपाई कमरतोड़ महंगाई के बीच, एक गरीब व्यक्ति कैसे अपना जीवन यापन कर सकता है?
मोदी सरकार ने बैंकों को बनाया जन-धन की लूट का साधन !
हमारे तीन सवाल –
1⃣क्या ये सच नहीं कि 10 करोड़ से ज़्यादा जन-धन बैंक खाते बंद हो चुके हैं, जिनमें क़रीब 50% बैंक खाते महिलाओं के हैं? इनमें दिसंबर 2023 तक ₹12,779 करोड़ जमा थे ! कुल जन-धन खातों में से 20% खाते बंद होने का… pic.twitter.com/WWSbCnEl8D
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 28, 2024
कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि क्या यह सच नहीं है कि आम खातों और जनधन खातों को जोड़कर, मोदी सरकार ने 2018 से 2024 तक कम से कम 43,500 करोड़ रुपये केवल न्यूनतम बैलेंस न होने पर, अतिरिक्त एटीएम लेनदेन एवं एसएमएस शुल्क पर वसूली करने से लूटे हैं?
PMJDY के 10 साल हुए पूरे
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस-संप्रग सरकार के दौरान मार्च, 2014 तक 24.3 करोड़ ग़रीबों के लिए बैंक खाते खोले गए थे और आज उसके नाम बदलने की 10वीं वर्षगांठ है।
खरगे ने कहा मोदी सरकार जिसका ढिंढ़ोरा आज पीट रही है, उसकी असलियत समझें। 2005 में, कांग्रेस-संप्रग सरकार ने बैंकों को नो फ्रिल्स अकाउंट (जिन खातों में न्यूनतम बैलेंस की शर्त नहीं होती) खोलने का निर्देश दिया। 2010 में रिजर्व बैंक ने बैंकों को 2010 से 2013 तक वित्तीय समावेश योजना तैयार करने और लागू करने के लिए कहा। 2011 में कांग्रेस-संप्रग सरकार ने ‘स्वाभिमान’ योजना की शुरुआत की।
उनके अनुसार, वर्ष 2012 में, ‘नो फ्रिल्स अकाउंट’ को ‘बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉज़िट अकाउंट’ (बीएसबीडीए) नाम दिया गया। खरगे का कहना था 2013 में बैंकों को वित्तीय समावेशन योजना को 2016 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया था। इसी का नाम बदलकर मोदी सरकार ने ‘जनधन योजना’ रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के समय की योजनाओं का इस्तेमाल कर के प्रधानमंत्री मोदी विज्ञापनबाज़ी में लीन हैं।
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