UP by-Election: यूं ही नहीं योगी की शान में कसीदे गढ़ रहे केशव, इस बार सीएम को खुलकर सियासी जौहर दिखाने की छूट

UP by-Election: पहले बिना दोनों डिप्टी सीएम के 30 मंत्रियों को उपचुनाव की जिम्मेदारी, फिर केशव मौर्य द्वारा योगी की शान में कसीदे गढ़ना… यूपी के सियासी गलियारों की सुर्खियों में दोनों बातों के निहितार्थ शिद्द्त से तलाशे जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले तो जहां केशव और ब्रजेश एक साथ योगी के साथ मंच पर बामुश्किल दिखते थे। वहीं अब सरकार के बड़ों के बीच सब कुछ ठीकठाक नजर आ रहा है। सरकार से लेकर भाजपा संगठन के जिम्मेदार तक अंदरखाने से इसकी पुष्टि करते नहीं थक रहे हैं। भाजपा मिशन 2027 के सेमीफाइनल में अपनी प्रतिष्ठा से कोई समझौता करना  नहीं चाहती।

 

अचानक हुए इस सियासी बदलाव के पीछे का अहम कारण यूपी में दस सीटों पर होने जा रहा उपचुनाव बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए खुद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी मानो इस बार मुख्यमंत्री योगी को खुलकर सियासी जौहर दिखाने से रोकने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। दरअसल डिप्टी सीएम केशव मौर्य जिस अंदाज में दो बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ कर चुके हैं।

उससे संकेत साफ़ है कि भाजपा के कर्णधारों ने उन्हें बड़बोली बयानबाजी को लेकर सख्त ताकीद दी है। सिर्फ यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार उपचुनाव के मद्देनजर इस बार कटेहरी और मिल्कीपुर की सीटों की जिम्मेदारी अपने कन्धों पर ली है। इससे उपचुनाव की सभी दस सीटों पर न सिर्फ उनके प्रभाव की झलक दिखाई दे रही है बल्कि शीर्ष नेतृत्व भी इस बार मुख्यमंत्री के बारे में किसी भी प्रकार की सियासी अफवाह को लेकर ज्यादा सतर्क नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री को बदले जाने की अफवाह ने प्रदेश में भाजपा को अर्श से फर्श पर लाकर बड़ा सियासी झटका दिया था।

प्रत्याशियों के चयन में सीएम की पसंद रहेगी हावी

लोकसभा चुनाव के दौरान जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं, अभियान की रणनीति और उम्मीदवारों के चयन के संबंध में मुख्यमंत्री के सुझावों और इनपुट को भी नजरअंदाज किया गया। नतीजतन भाजपा की सीटें घटकर 33 रह गईं। इस बार शीर्ष नेतृत्व ने मानो उपचुनाव की पूरी कमान सीधे योगी के हाथों में थमा रखी है। जिससे साफ़ है कि उपचुनाव वाली सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में मुख्यमंत्री की पसंद सबसे ऊपर होने वाली है। इसके संकेत हाल ही में भाजपा, संघ और सरकार के जिम्मेदारों के बीच बैठक में भी नजर आये हैं।

सीएम को टारगेट बनाने पर शीर्ष नेतृत्व ने दिखाई सख्ती

14 जुलाई को लखनऊ में लोकसभा चुनावों में हार की समीक्षा के लिए भाजपा कार्यसमिति की बैठक के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में मुख्यमंत्री योगी को मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने निशाने पर लेने का प्रयास किया था। जिसमें दोनों डिप्टी सीएम का नाम भी आया था। इसके बावजूद 17 जुलाई को सीएम ने आवास पर 30 करीबी मंत्रियों के साथ बैठक की, जिसमें दोनों डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी गायब थे। सीएम योगी का ये कदम बिना शीर्ष नेतृत्व के समर्थन के संभव नहीं है। इसके बाद ही सरकार के बड़ों को दिल्ली दरबार ने सियासी इशारों में सख्ती से समझा दिया।

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