Lucknow: आखिर किसके इशारे पर नगर निगम में बंट रही रेवड़ी?

भ्रष्टाचार: शासनादेश को दरकिनार कर मूल से उच्च पद पर लिया जा रहा कार्य

Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Shankar Awasthi: भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम योगी की जीरो टालरेंस की नीति है। इसी नीति के तहत सीएम योगी ने साफ छवि के युवा आईएएस इंद्रजीत सिंह को नगर आयुक्त बनाकर लखनऊ नगर निगम की कमान सौंपी थी।

मगर, नगर निगम में नियमों को ताक पर रखकर बड़े-बड़े खेल हो रहे हैं। तमाम कर्मी मूल पद से उच्च पद पर तैनाती पाकर भ्रष्टाचार को बढ़ा रहे हैं। जिससे साफ जाहिर है कि पर्दे के पीछे से नगर निगम की कमान किसी और ने संभाल रखी है। ये कर्मी अपनी कुर्सी बचाने के लिए हर प्रकार के भ्रष्टाचार को हरी झंडी दिखाने को तैयार रहते हैं। नगर आयुक्त की ईमानदारी भी इस भ्रष्टाचार को नहीं रोक पा रही है।

कर अधीक्षक से लेकर सहायक अभियंताओं को सौंप दी बड़ी जिम्मेदारी

नगर निगम में कर अधीक्षक जैसे पद पर तैनात मनोज कुमार यादव वर्तमान में जोन-छह में जोनल अधिकारी की कुर्सी संभाल रहे हैं। जहां भ्रष्टाचार चरम पर है। जोन में छह माह पूर्व महिला लिपिक नीलम साहू को एंटी कारप्शन टीम ने घूस लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया था। सूत्रों के अनुसार शासन में बैठे एक सीनियर आईएएस अफसर की मेहरबानी के चलते यादव को जोनल अधिकारी के पद से नवाजा गया है। उनके जोन से रिलीव हो चुके कई बाबू व इंस्पेक्टर अभी भी वहां जाकर घंटों ड्यूटी देते हैं। जबकि उन्होंने दूसरे स्थान पर कार्यभार ग्रहण भी कर लिया है।

भ्रष्टाचार के दम पर करोड़ों की संपत्ति के हैं मालिक

इसी तरह कर अधीक्षक अजीत राय से भी मूल पद की जगह उच्च पद पर कार्य लिया जा रहा है। उन्हें जोन-आठ का जोनल अधिकारी बनाकर पूरे जोन की जिम्मेदारी दे रखी है। जबकि अजीत राय व उनके एक चहेते इंस्पेक्टर देवी शंकर दुबे पर हाउस टैक्स घोटाले के गंभीर आरोप हैं। चर्चा है कि तमाम भवनों का हाउस टैक्स कम कर दोनों ने जमकर मलाई उड़ाई है। मामले की जांच जिलाधिकारी व शासन स्तर पर लम्बित है। भ्रष्टाचार के दम पर करोड़ों की संपत्ति के मालिक भी बन चुके हैं।

उधर, अभियंत्रण विभाग की बात करें तो सहायक अभियंता संजय पाण्डेय को चार दिन पूर्व नगर अभियंता जोन-सात का चार्ज सौंप दिया गया। जोन-एक में सहायक अभियंता किशोरी लाल भी पीछे नहीं है उन्हें भी नगर अभियंता के पद से नवाजा गया है। दोनों ही इंजीनियर करोड़ों के विकास कार्यो की फाइलें तेजी से निपटा रहे हैं।

उच्च स्तरीय सेटिंग से मिल रही बड़ी जिम्मेदारी

सूत्रों के अनुसार उच्च स्तरीय सेंटिंग के चलते उक्त कर्मियों को पद से बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई है। किस कर्मी की सेटिंग किस स्तर पर है। इस बात की चर्चा अब नगर निगम में जोरों पर है। बदनामी भी उन्हीं की हो रही है। जिन्होंने चहेतों की तैनाती के लिए नगर निगम के बड़े अफसरों पर दबाव बनाया। मूल पद से उच्च पद पर काम लिए जाने के सवाल का जवाब देने से नगर आयुक्त बचते नजर आए।

नगर निगम के जोन-सात में अर्दली अमित सिंह को कम्प्यूटर ऑपरेटर बनाकर कार्य लिया जा रहा है। कर विभाग जोन-एक में चतुर्थ श्रेणी कर्मी संग्राम सिंह को कर अधीक्षक की डाक रिसीव करने व चढ़ाने का काम सौंपा गया है। विधि अनुभाग में चतुर्थ श्रेणी दिनेश कुमार से लिपिक का कार्य लिया जा रहा है। जोन-छह में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी इंस्पेक्टर बनकर वसूली के खेल में शामिल है।

नगर निकायों में कार्यरत कर्मियों से उनके मूलपद से उच्च पद पर कार्य न लिए जाने के संबंध में शासन ने पूर्व में आदेश भी जारी कर रखा है। प्रदेश के सभी नगर आयुक्त, महाप्रबंधक जलकल, अधिशासी अधिकारियों को इस संबंध में पत्र भी जारी किया था। मगर, राजधानी में ही शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं। ऐसे में दूसरे जिलों के निकायों में चल रही कार्यप्रणाली का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।

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