Lucknow: 91 करोड़ के सीवर ठेके में सुरक्षा मानकों से खिलवाड़, लापरवाही के चलते मिट्टी धंसने से दो श्रमिक घायल

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी जल निगम (नगरीय) के इंजीनियर करोड़ों के ठेकों का जिम्मा संभाले उन चहेती फर्मों पर पूरी तरह से मेहरबान हैं। जिनकी लापरवाही से न सिर्फ श्रमिकों के साथ हादसे होते हैं बल्कि जान पर भी बन आती है। ऐसा ही हादसा चिनहट के शाहपुर इलाके में सीवर लाइन बिछाते वक्त हुआ है। जहां सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ पर दो श्रमिक बुरी तरह घायल हो गए। जिसमें से एक की हालत गंभीर है। पहले तो इस प्रकरण को छुपाने का भरसक प्रयास किया गया। हालांकि बड़े अफसरों की जानकारी में आने के बावजूद अभी तक जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

सीवर लाइन बिछाते समय ढह गई मिट्टी

अमृत योजना द्वितीय के तहत जल निगम में अधिशासी अभियंता निर्माण खंड तृतीय इकाई के नेतृत्व में 91 करोड़ की लागत से सीवर लाइन बिछाकर घरों से जोडऩे का काम चल रहा है। जिसका ठेका जल निगम ने केबी श्रीवास्तव (केबीएस इन विराड) नाम की फर्म (प्रोपराइटर दीपक श्रीवास्तव) को दिया है। तीन माह से काम जारी है। कुल सात ठेकेदार संयुक्त रूप से करोड़ों के इस काम को कर रहे हैं। 25 जुलाई को शाम करीब चार बजे करीब दस फिट गहरी सीवर लाइन बिछाते समय अचानक मिट्टी ढह गयी।

हादसे में दो श्रमिक गंभीर रूप से घायल

जिससे मिट्टी के ढेर के नीचे मौके पर काम कर रहे मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल निवासी श्रमिक लालतू एसके (29 वर्ष) और राकेश एसके (18 वर्ष) बुरी तरह घायल हो गए। आनन फानन में दोनों को जेसीबी की मदद से निकाला गया। इस लापरवाही के दौरान इनमें से एक श्रमिक राकेश का चेहरा और ज्यादा चोटिल हो गया। दोनों श्रमिकों को ठेकेदारों ने केजीएमयू के ट्रॉमा में तकरीबन छह बजे के आसपास भर्ती कराया। जिसमें से लालतू नाम के श्रमिक को कुछ घंटों बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गयी।

दोषियों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

लेकिन 18 साल के राकेश की हालत गंभीर होने पर उसे प्लास्टिक सर्जरी विभाग में अगले दिन भेजा गया। प्रोजेक्ट के एई लक्ष्मी प्रसाद और जेई अमित तिवारी के मुताबिक घायल का बेहतर इलाज कराया जाएगा। हम लोग भी लगातार उसे देखने जाते हैं। हालांकि इंजीनियरों के दावों में कितनी सच्चाई है। इसका अंदाजा लापरवाही के दोषियों को अभी तक चिन्हित नहीं किये जाने से लगाया जा सकता है।

मजबूर बाप बोला- बेटे की आंख शायद नहीं बचेगी

घायल श्रमिक राकेश के पिता नजीमुद्दीन भी यहां मजदूरी करते हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर ने कहा है कि बेटे की एक आंख शायद नहीं बचेगी। बेटे के चेहरे पर इतने टांकें देख वो भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा कि साहब हम लोग दिहाड़ी मजदूरी की चाहत में पश्चिम बंगाल से आये हैं। अभी कोई सरकारी आर्थिक सहायता नहीं मिली है। तभी इन मजदूरों को पश्चिम बंगाल से लखनऊ लाने वाले ठेकेदार के बेटे के आते ही वे चुप हो गए। वहीं ठेकेदार के बेटे ने कुछ भी बताने से मना कर दिया।

मौखिक आख्या के भरोसे बैठे हैं एक्सईएन

जल निगम के अधिशासी अभियंता निर्माण खंड तृतीय सैय्यद अतहर कादरी का कहना है कि ठेकेदार फर्म से आख्या-स्पष्टीकरण मांगी गयी है। लेकिन जब उनसे इससे संबंधित नोटिस की प्रति दिखाने को कहा गया तो अधिशासी अभियंता ने कहा कि अभी फिलहाल मौखिक ही स्पष्टीकरण मांगा गया है। लापरवाही पर ऐसी हीलाहवाली और प्रबंध निदेशक के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होना जल निगम के इंजीनियरों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

चीफ इंजीनियर को हादसे की जानकारी ही नहीं

सबसे खास बात ये भी है कि बड़े इंजीनियर भी इस गंभीर प्रकरण में जिम्मेदारों के खिलाफ  कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं। तभी जब लखनऊ क्षेत्र के जल निगम (नगरीय) के चीफ इंजीनियर संजय कुमार गौतम से पूछा गया कि शाहपुर में हादसे पर आपने क्या कार्रवाई की तो उन्होंने बेहद हैरानी भरे अंदाज में कहा कि मुझे तो इस प्रकरण की कोई जानकारी ही नहीं है। ये हाल तब है जब खुद प्रबंध निदेशक ने कार्रवाई के निर्देश अधीनस्थों को दिए हैं।

इसके बावजूद मुख्य अभियंता को 91 करोड़ के सीवर ठेके के काम में सुरक्षा मानकों के उल्लंघन की भनक तक नहीं पड़ी। उन्ही के क्षेत्र के बाकी सभी इंजीनियर हादसे से पूरी तरह वाकिफ हैं। इसको सफेद झूठ ही कहा जाएगा। साफ है कि जल निगम में रसूखदार फर्मों और इंजीनियरों के कारनामों पर ऐसे ही बड़े अफसर पर्दा डालते हैं।

कम्पनी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए: प्रबंध निदेशक

जल निगम नगरीय के प्रबंध निदेशक आरके पांडेय ने संदेश वाहक से कहा कि सीवर लाइन बिछाते समय चिनहट के शाहपुर में हादसे की जानकारी तीन दिन पहले संज्ञान में आयी है। ठेकेदार कंपनी के खिलाफ  कार्रवाई और घायलों के समुचित इलाज के निर्देश मैंने दिए हैं। सेफ्टी नॉर्म्स का पूरा पालन कराया जाएगा।

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