सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण वाले फैसले पर मायावती ने उठाए सवाल, कहा- ये कितना उचित?
Sandesh Wahak Digital Desk: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को एससी/एसटी श्रेणियों में कोटे के अंदर कोटा की वैधता पर फैसला सुनाया। न्यायालय ने राज्यों को अनुसूचित (SC) जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब-कैटेगरी यानि कोटे के अंदर कोटे की इजाजत दी। तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सियासत भी जारी हो गई है। न्यायालय के फैसले पर यूपी में सियासत तेज है। इसी कड़ी में बसपा प्रमुख की भी प्रतिक्रिया सामने आई है।
दरअसल न्यायालय ने एससी/एसटी जातियों में भी सब-कैटेगरी को मंजूरी दी और कहा कि पिछड़ी जातियों में भी सब कैटेगरी कर कोटे के अंदर कोटा दिया जाए। साथ ही कई ऐसी जातियां हैं जो आज भी काफी पिछड़ी हुई है और कोटा के बावजूद वो आगे नहीं बढ़ पा रही है। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
1. सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक़ उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?
— Mayawati (@Mayawati) August 2, 2024
न्यायालय के आदेश पर मायावती की प्रतिक्रिया
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के खासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?
2. देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती।
— Mayawati (@Mayawati) August 2, 2024
कांग्रेस और भाजपा पर साधा निशाना
मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती।
आपको बता दे कि सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले की तीन दिनों तक सुनवाई करने के बाद इस साल 8 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीजेआई चंद्रचूड ने कहा कि सात जजों की इस पीठ में 6 जजों की मत एक ही थी, वहीं एक जस्टिस बेला.एम त्रिवेदी इस फैसले के खिलाफ थीं।
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