Kanpur: कानपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष गिरफ्तार, 1 हजार करोड़ की जमीन कब्जाने का है मामला
Sandesh Wahak Digital Desk: कानपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष और एक स्थानीय समाचार चैनल से जुड़े पत्रकार अवनीश दीक्षित को शनिवार की रात गिरफ्तार कर लिए गया। अवनीश दीक्षित की गिरफ्तारी सिविल लाइंस में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की जमीन कब्जाने की कोशिश के आरोपों पर की गई। अवनीश की गिरफ्तारी के बाद बड़ी संख्या में उनके समर्थक थाने पहुंच गए। अवनीश के समर्थकों ने रातभर थाने में हंगामा किया। हंगामा इतना बढ़ गया कि PAC को तैनात करना पड़ा।
पुलिस ने बवाल की आशंका पर कई थानों की फोर्स भी मौके पर बुलाई ली। केस कोतवाली थाने से जुड़ा है। पुलिस ने लॉ एंड ऑर्डर को देखते हुए रात के 2.30 बजे अवनीश का मेडिकल कराया। मामले में पुलिस ने अवनीश दीक्षित समेत 12 नामजद और 25 अज्ञात के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की है।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार पत्रकार और 13 अन्य लोगों के खिलाफ राजस्व लेखपाल और जमीन के कथित मालिक सैमुअल गुरुदेव सिंह ने कोतवाली पुलिस में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है।
इन धाराओं में दर्ज हुआ केस
गिरफ्तार पत्रकार को सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया जाएगा। उनके ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 (2) आपराधिक साजिश, 74 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग), 127 (2) (गलत तरीके से बंधक बनाना), 191 (2) दंगा, 308 (5) जबरन वसूली, 310 (2) डकैती, 324 (4) शरारत से नुकसान, 329 (4) घर में जबरन घुसना, 351 (2) आपराधिक धमकी, 352 जानबूझकर अपमान करना और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3/5 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
अपर पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) हरीश चंद्र ने पत्रकार की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। जिनके खिलाफ सरकारी जमीन हड़पने के आरोप में कोतवाली पुलिस में दो प्राथमिकी दर्ज हैं।
उन्होंने बताया कि हरेंद्र मसीह, राहुल वर्मा, मॉरिस एरियल, कमला एरियल, अभिषेक एरियल, अपर्णा एरियल, जितेश झा, मोहित बाजपेयी, संदीप, विक्की चार्ल्स, अब्बास और जितेंद्र समेत जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
ज़िलाधिकारी (डीएम) राकेश कुमार सिंह ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि आरोपियों ने सिविल लाइंस इलाके में करीब 7500 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है, जिसकी कीमत 1000 करोड़ रुपये से अधिक है।
डीएम ने बताया कि उन्होंने शहर के अपर ज़िलाधिकारी के नेतृत्व में राजस्व टीम भेजी, जिसने पाया कि जमीन सरकारी जमीन (नजूल) है और उसका पट्टा पहले ही समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा कि जमीन पट्टे पर दी गई थी, जिसे 25 साल के लिए नवीनीकृत भी किया गया था। यह पट्टा अब समाप्त हो चुका है।
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