UP: कुर्सी मिली तो चिकित्सक का धर्म भूले कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक-यूनानी अधिकारी
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी तक आयुष को बढ़ावा देने में शिद्दत से जुटे हैं। वहीं दूसरी तरफ यूपी में ऐसे भी दर्जनों आयुष डॉक्टर ठसक से नौकरी बजा रहे हैं। जिन्होंने वर्षों से एक भी मरीज का इलाज करना आज तक गंवारा नहीं समझा।
बावजूद इसके, कभी न तो इनका वेतन रोका गया और न ही कोई जांच या कार्रवाई हुई। प्रदेश भर के जिलों में ये डॉक्टर कार्यवाहक के तौर पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी की कुर्सी पर क्या बिठाये गए, जनहित में एक चिकित्सक की असली जिम्मेदारी ही भुला बैठे। मरीजों को नहीं देखने पर डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा भी इन्ही क्षेत्रीय प्रभारियों को थमाया गया है।
नहीं किया जा रहा चिकित्सीय कार्यों का अनुपालन
23 जुलाई 2018 को तत्कालीन आयुर्वेद निदेशक प्रोफेसर आर.आर. चौधरी ने समस्त कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों को आदेश भेजा था। जिसके मुताबिक वरिष्ठ चिकित्साधिकारियों को अपने पद के कार्य के साथ कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के दायित्वों का निर्वहन करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन मूल तैनाती स्थल/अस्पताल में चिकित्सीय कार्यों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
जिससे जनहित में उनके तैनाती स्थल के मरीजों को चिकित्सीय लाभ नहीं मिल पा रहा है। कार्यवाहक क्षेत्रीय अधिकारियों को मूल तैनाती स्थल जाकर मरीज देखना जरुरी है। प्रदेश में 57 क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कार्यरत हैं। जिनमें से तकरीबन तीन दर्जन वरिष्ठ आयुष डॉक्टरों को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर क्षेत्रीय अधिकारी की जिम्मेदारी शासन ने सौंपी है। कई डॉक्टर प्रमोट होकर पिछले साल हुई डीपीसी के बाद नियमित तैनाती के इन्तजार में हैं।
मुख्यमंत्री योगी की नाक के नीचे लखनऊ में कार्यवाहक प्रभारी डॉ राजकुमार यादव भी मरीजों को नहीं देख रहे हैं। इनकी मूल तैनाती टूडियागंज आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में है। इस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. माखनलाल ने भी डॉ. राजकुमार यादव द्वारा एक भी मरीज नहीं देखा जाना स्वीकारा। इसलिए ओपीडी सूची में अन्य डॉक्टरों के साथ उनका नाम नहीं शामिल है।
मुख्यमंत्री योगी की नाक के नीचे ही मरीज नहीं देख रहे लखनऊ के कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी
‘संदेश वाहक’ ने लखनऊ के प्रभारी डॉ. राजकुमार यादव से पूछा कि कार्यवाहक क्षेत्रीय प्रभारी बनने के बाद आपने क्या मूल तैनाती स्थल पर एक भी मरीज देखा तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए फोन ही काट दिया। वहीं बलरामपुर के कार्यवाहक क्षेत्रीय प्रभारी डॉ. दिग्विजय नाथ ने कहा कि दो साल से मूल तैनाती पर मरीजों को नहीं देख पाए हैं। अस्पताल 90 किमी दूर पड़ता है। यही हाल प्रदेश भर के कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों का है।
चिकित्सक हैं तो मरीज देखना चाहिए : निदेशक
प्रदेश के समस्त कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी द्वारा मरीजों को न देखे जाने पर आयुर्वेद निदेशक डॉ. पीसी सक्सेना ने कहा कि अगर चिकित्सक हैं तो जरूर मरीज देखना चाहिए। इस मामले को दिखवाया जाएगा।
मरीज नहीं देखने पर कार्रवाई की जायेगी : आयुष मंत्री
आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के लिए मरीजों को देखना जरुरी है। इस बारे में प्रमुख सचिव से बात करके फिर आदेश जारी कराया जाएगा। मैं खुद एक शिक्षक हूं, कॉलेज जाता था। एक अच्छा डॉक्टर बनने के बाद ही आप एक अच्छे प्रशासक बन सकते हैं। जो मरीज नहीं देखेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।