UP Politics: यूपी उपचुनाव में किस्मत आजमायेगी बसपा, पार्टी पदाधिकारी लगाएंगे चौपाल
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश में खिसकते जनाधार को लेकर चिंतित बहुजन समाज पार्टी विधानसभा उपचुनाव के सहारे यह संदेश देना चाहती है कि उनका आधार वोट बैंक आज भी उसके पास है और उसकी दलित समाज के बीच में वही पुरानी हैसियत है। इसीलिए सभी 10 सीटों पर उपचुनाव लडऩे की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मंडलवार कोआर्डिनेटरों से प्रत्याशियों के नामों का पैनल मांगने के साथ ही गांव चलो अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया है। बसपा पदाधिकारी गांव-गांव जाकर कांशीराम की तर्ज पर चौपाल लगाएंगे और यह बताने की कोशिश करेंगे की बसपा ही एक मात्र दलितों की हितैषी पार्टी है।
आकाश आनंद संभालेंगे कमान
लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा उप चुनाव में भी राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर व मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद को जिम्मेदारी देने की तैयारी है। यह यह तय नहीं किया गया है कि प्रचार अभियान की कमान आकाश संभालेंगे या नहीं, लेकिन गांव-गांव चलो अभियान की कमान उनके ही हाथ में रहेगी। कोआर्डिनेटर उन्हें सीधे इसकी रिपोर्ट करेंगे कि गांव चलो अभियान में कितने लोग जुड़ रहे हैं। खासकर इसमें दलित, पिछड़े और अति पिछड़े समाज के कितने लोगों की हिस्सेदारी हो रही है। बताया तो यह भी जा रहा है कि आकाश मंडलवार बैठकों का दौर भी जल्द शुरू कर सकते हैं। वह स्वयं मंडल-मंल जाकर संगठन विस्तार के स्थितियों की समीक्षा करेंगे।
बसपा की लगातार छह चुनावों में हुई है बड़ी हार
एक समय ऐसा था जब दलितों के बीच बसपा का खासा जनाधार हुआ करता था। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा 30.43 फीसदी मत पाकर 206 सीटें जीती थी और अपने दम पर सरकार बनाई, लेकिन इसके बाद से लगातार पांच चुनावों में उसके वोट घटते चले गए। वर्ष 2012 में 25.95, वर्ष 2017 में 22.23 प्रतिशत और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उसका मात्र एक उम्मीदवार जीता और उसे मात्र 12.08 फीसदी मत मिले। लोकसभा चुनाव 2014, 2019 में भी कुछ खास नहीं कर सकी।
2024 की बात करें तो बसपा अपने दम पर सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन कोई भी उम्मीदवार नहीं जीता और उसका मत प्रतिशत भी घटकर 9.39 फीसदी ही रह गया। मायावती इसको लेकर चिंतित हैं। वह अच्छी तरह से जानती हैं कि उनका जनाधार खिसक रहा है। इसीलिए अमूमन उप चुनाव न लडऩे वाली बसपा इस बार इस चुनाव को मजबूती के साथ लडऩे जा रही है।
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