संपादक की कलम से: सुरक्षित रेल यात्रा कब?

Sandesh Wahak Digital Desk: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। इससे कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 11 लोगों की मौत हो गयी जबकि 60 से अधिक घायल हो गए।

सवाल यह है कि :-

  • सेमी हाईस्पीड ट्रेन संचालित करने वाला रेलवे आज तक रेल यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित क्यों नहीं बना सका?
  • क्या सिग्नल सिस्टम में खराबी या लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ?
  • कैसे एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें चल रही थी?
  • हादसे में लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?
  • क्या ऐसे ही देश में बुलेट ट्रेन संचालित करने का सपना साकार होगा?
  • रेल हादसों को रोकने के लिए सरकार कोई ठोस योजना क्यों नहीं बना रही है?
  • क्या हादसे रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था के दावों पर सवाल नहीं उठा रहे हैं?
  • तमाम कोशिशों के बावजूद स्थितियों में बदलाव क्यों नहीं आ रहा है?
  • क्या रेलवे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है?

भारतीय रेलवे अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल तंत्र है। यहां प्रतिदिन लाखों लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते हैं। इसके अलावा रोजाना लाखों टन माल की ढुलाई मालगाडिय़ों के जरिए की जाती है। इस पूरे तंत्र को चलाने के लिए कई लाख कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं और इसके संचालन के लिए प्रतिवर्ष भारी-भरकम बजट आवंटित किया जाता है। पिछले दस सालों में ट्रेन के आधुनिकीकरण की दिशा में काफी काम किए गए हैं। कई नयी ट्रेनें संचालित की जा रही हैं।

रेल हादसों पर देश में नियंत्रण नहीं लगाया जा सका

कई सेमी हाईस्पीड ट्रेन मसलन वंदे भारत जैसी रेल को संचालित किया जा रहा है। बावजूद इसके आज तक रेल हादसों पर देश में नियंत्रण नहीं लगाया जा सका है। इसके विपरीत अमेरिका, चीन और रूस में वर्षों में कभी ट्रेन हादसे होते हैं। सच तो यह है कि यात्री ट्रेनों को बढ़ा तो दिया गया लेकिन पटरियों का विस्तार उस तेजी से नहीं किया गया। इसके कारण पटरियों पर ट्रेनों का बोझ बढ़ता जा रहा है।

ट्रेनों को टक्कर से बचाने के लिए इसे कवच से लैस नहीं किया जा सका है जबकि इसका परीक्षण दो साल पहले किया जा चुका है। इसके तहत विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली का निर्माण किया गया था। हालत यह है कि सिग्नल सिस्टम तक दुरुस्त नहीं किये जा सके हैं। तमाम पटरियां और रेलवे पुल जर्जर हो चुके हैं। वहीं अधिकांश पटरियों पर मालगाड़ी और यात्री ट्रेनें दौड़ रही है।

ऐसे में सिग्नल सिस्टम में जरा सी चूक बड़े हादसों का कारण बनती है। हाल में हुई दुर्घटना इसी लापरवाही का नतीजा है। जाहिर है, सरकार को नयी ट्रेनों के संचालन से पहले रेलवे को दुर्घटना शून्य बनाना चाहिए। साथ ही मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों के लिए अलग ट्रैक बनाए जाने चाहिए। सिग्नल सिस्टम को फुल प्रूफ बनाए अन्यथा की स्थिति में हादसों को रोकना मुश्किल होगा और यह रेलवे के लिए हानिकारक साबित होगा।

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