श्रावस्ती लोकसभा सीट: विकास के वादों पर भारी पड़े जातिगत समीकरण
Sandesh Wahak Digital Desk/Mata Prasad Verma: वर्ष 2009 से अस्तित्व में आई श्रावस्ती संसदीय सीट (Shravasti Lok Sabha Seat) पर विकास के वादों के साथ शुरू हुई राजनीति अब जातिगत समीकरणों पर सिमट कर रह गई और लड़ाई में एनडीए व इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। इनमे से जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह तो परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।
लड़ाई एनडीए और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के मध्य, आज डाले जाएंगे वोट
इस सीट को जीतने के लिए एनडीए व इंडिया गठबंधन एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। इस सीट को जीतने के लिए एनडीए की तरफ से भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा, केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक एवं केशव प्रसाद मौर्या, कैबिनेट मंत्री व पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्या, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अन्य कई दिग्गज नेता अपने प्रत्याशी साकेत मिश्रा के समर्थन में जनसभा कर चुके हैं।
जबकि इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पाण्डेय, पूर्व कैबिनेट मंत्री आरके चौधरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री यासर शाह सहित सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अपने प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा के समर्थन में पूरी ताकत झोंक चुके हैं।
वहीं सभी गठबन्धन से अलग बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी अपने प्रत्याशी मुइनुद्दीन अहमद खान उर्फ हाजी दद्दन खां के समर्थन में जनसभा कर चुकी हैं, जिससे श्रावस्ती संसदीय सीट (Shravasti Lok Sabha Seat) की लड़ाई अब रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुकी है। मतदाताओं से बातचीत करने के आधार पर श्रावस्ती संसदीय सीट पर एनडीए तथा इंडिया गठबंधन के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है।
अधिकतर मुस्लिम मतदाताओं का रूझान सपा की ओर
इस सीट पर लड़ाई इसलिए भी और रोमांचक होती जा रही है क्योंकि क्षेत्र की समस्याओं और विकास के मुद्दे से शुरू हुआ लोकसभा चुनाव अब जातीय समीकरणों में सिमटता हुआ दिख रहा है। इस सीट पर अगर जातीय आंकड़ों की बात करें तो जातीय जनगणना न होने की वजह से कोई भी पुष्ट आंकड़े नहीं है।
मगर कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यहां पर लगभग 28 फीसदी मुस्लिम, 17 फीसदी दलित, 08 फीसदी यादव, 09 फीसदी ब्राह्मण, 10 फीसदी कुर्मी, 07 फीसदी राजपूत, 04 फीसदी नाई (सेन), 03 फीसदी वैश्य, 03 फीसदी कायस्थ, 0.15 फीसदी ईसाई, 0.07 फीसदी बौद्ध एवं 0.01 फीसदी जैन तथा शेष अन्य जाति के मतदाता हैं। ऐसे में अगर भाजपा हिन्दुओं को एकजुट करने में सफल रहती है, तो इस लोकसभा सीट पर दद्दन मिश्रा (2014) के बाद अब साकेत मिश्रा भी कमल खिलाने में सफल रहेंगे।
वहीं अगर हिन्दू मतदाता जातियों में बंटते हैं और सपा का परम्परागत वोटर माने जा रहे मुस्लिम साइकिल की ही सवारी करते हैं, तो राम शिरोमणि वर्मा को साइकिल दौड़ाने से कोई नहीं रोक सकता है। मुस्लिम दिल्ली पहुंचाने के लिए हाथी के साथी बनते हैं और दलितों का साथ मिलता है तो बसपा प्रत्याशी मुइनुद्दीन अहमद खान को भी कम करके नहीं आंका जा सकता है।
हालांकि अधिकतर मुस्लिम सपा के साथ बताये जाते हैं।
इस बार रिकार्ड बनना तय
श्रावस्ती लोकसभा सीट (Shravasti Lok Sabha Seat) 2009 के परिसीमन में अस्तित्व में आई थी। इस लोकसभा में श्रावस्ती के दो (श्रावस्ती व भिनगा) तथा बलरामपुर की तीन (बलरामपुर सदर, तुलसीपुर, गैसड़ी) विधान सभाओं को शामिल किया गया था। इस सीट से कांग्रेस, भाजपा एवं बसपा के प्रत्याशी एक एक बार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।
इस सीट से न तो कोई पार्टी दोबारा चुनाव जीत सकी है और न हीं कोई प्रत्याशी दोबारा चुनाव जीत सका है। आपको बता दें कि 2009 में श्रावस्ती लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस का हाथ पकड़ कर डॉ विनय कुमार पाण्डेय ने सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंचे थे। 2014 के चुनाव में मोदी की प्रचण्ड लहर में दद्दन मिश्रा कमल खिलाने में सफल रहे थे।
इसके बाद 2019 के चुनाव में सपा बसपा गठबन्धन से बसपा प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे थे। ऐसे में अगर 2024 में साकेत मिश्रा चुनाव जीतते हैं तो भाजपा इस सीट पर दो बार चुनाव जीतने वाली पार्टी बन जायेगी। अगर इस सीट पर सपा अपना खाता खोलती है तो राम शिरोमणि वर्मा इस सीट से दो बार सांसद बनने वाले प्रत्याशी बन जायेंगे। वहीं अगर मुइनुद्दीन अहमद खान यह चुनाव जीतने में सफल होते हैं तो बसपा इस सीट पर लगातार दो बार चुनाव जीतने वाली पार्टी बन जायेगी।
Also Read: Lok Sabha Election 2024: यूपी में बड़ी सियासी लकीर खींचेंगी पूर्वांचल…