UP: ऐतिहासिक धरोहरों को हेरिटेज होटलों में बदलने का इंतजार
द्वितीय चरण की प्रक्रिया भी शुरू, साल भर पहले आयी थी नीति, निजी क्षेत्र कई शहरों में चल रहे ऐसे होटल
Sandesh Wahak Digital Desk: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने जिस हेरिटेज पॉलिसी की नींव रखी थी। वो एक साल बाद भी सरकारी मंजूरी के फेर में अटकी है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के पुराने महल हवेली और धरोहर हेरिटेज होटल की शक्ल अख्तियार करेंगे।
योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए नामी होटल और उद्योगपति समूह लाइन में हैं। द्वितीय चरण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। लेकिन लोकतंत्र के महापर्व के कारण लगी आचार संहिता से योजना मंजूरी के इन्तजार में फिलहाल अटकी है। पर्यटन विभाग ने ऐतिहासिक धरोहरों की सूरत और सीरत न बिगड़े, इसके लिए नियमों में सख्त प्रावधान किये हैं। हालांकि निजी क्षेत्रों में कई हेरिटेज होटल तमाम शहरों में पहले से संचालित किये जा रहे हैं।
16 महल और धरोहर हेरिटेज़ होटलों में बदलने को तैयार खड़े
प्रदेश में योजना के प्रथम चरण के तहत लखनऊ में कोठी रौशन-उद-दौला और छतर मंजिल शामिल हैं। वहीं द्वितीय चरण के तहत लखनऊ के गुलिस्ता-ए-इरम और कोठी दर्शन विलास समेत यूपी के 16 महल और धरोहर हेरिटेज़ होटलों में बदलने को तैयार खड़े हैं।
पर्यटन विभाग ने धरोहरों का वर्गीकरण करते हुए इन्हे 30 करोड़, 50 करोड़ और सौ करोड़ के निवेश प्लान में विभाजित किया है। 490 करोड़ की योजना इसे बताया जा रहा है। क्लार्क, हयात रीजेंसी, ओबेरॉय होटल्स, इण्डिया होटल्स कम्पनी (ताज समूह), रमाडा समूह समेत देश-विदेश के कई नामी समूह इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखा रहे हैं।
करोड़ों के तमाम कार्य पर्यटन विभाग भी इन हेरिटेज होटलों में स्वयं कराएगा। जिसमें बैंक्वेट हॉल और हॉस्पिटैलिटी यूनिट, हेरिटेज रेस्टोरेंट, वेलनेस सेंटर, रिजॉर्ट और म्यूजियम व बुटीक सेंटर शामिल हैं। जिसके जरिये बड़ी संख्या में स्थानीय युवा रोजगार पाएंगे। लेकिन निजी क्षेत्रों की तर्ज पर यूपी सरकार का हेरिटेज प्रोजेक्ट मंजूरी के अभाव में अभी रफ्तार नहीं पकड़ सका है।
ऑर्किटेक्चर से छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी : प्रमुख सचिव (पर्यटन)
प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति मुकेश मेश्राम ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहर के ऑर्किटेक्चर से कतई छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी। मरम्मत में वही मैटेरियल इस्तेमाल करने समेत कई सख्त प्रावधान योजना में हैं। बस्ती, आगरा, कन्नौज, अयोध्या और प्रयागराज समेत कई शहरों में प्राइवेट सेक्टर पहले से इस दिशा में काम कर रहा है। सरकार के स्तर पर हेरिटेज प्रोजेक्ट आचार संहिता खत्म होने के बाद कैबिनेट से स्वीकृत कराने के बाद रफ्तार पकड़ेगा।
प्रथम और द्वितीय चरण में शामिल ऐतिहासिक धरोहरें
प्रथम चरण में लखनऊ के अलावा कानपुर के शुक्ला तालाब, झांसी के बरुआ सागर किला, मथुरा के बरसाना जल महल और मिर्जापुर के चुनार के किले फेहरिस्त में हैं। इन्हें हेरिटेज होटल में बदलने की तैयारी पूरी हो चुकी है। दूसरे चरण में ललितपुर में बालाबेहट का किला, बांदा का रनगढ किला, महोबा का मस्तानी महल, लेक महल, गोंडा के वजीरगंज की बारादरी, झांसी का तहरौली फोर्ट, आगरा स्थित अकबर की शिकारगाह किरावली और बिठूर के टिकैतराय बारादरी का नंबर आयेगा।
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