टांडा: लोगों का तन ढकने वाले बुनकरों की एक मांग भी पूरी न कर सके जनप्रतिनिधि
Sandesh Wahak Digital Desk/ Indrasen Singh: प्रदेश सरकार के एक जिला, एक उत्पाद नीति में आने वाला टांडा का प्रसिद्ध टेरीकाट का कपड़ा जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण अपनी पुरानी चमक बरकरार रखने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। तमाम अर्जियों, मांग पत्रों और ज्ञापनों के बाद भी क्षेत्र में एक अदद कपड़ा सप्लाई डिपो तक स्थापित नहीं किया जा सका है। बुनकरों की मांग को हर बार ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। लिहाजा यहां के हजारों बुनकर आज भी साप्ताहिक कपड़ा मंडी में अपने उत्पाद को बेचने व महंगे दामों पर कच्चा माल खरीदने को मजबूर हैं।
टेरीकाट कपड़े के लिए प्रसिद्ध टांडा में स्थापित नहीं हो सका कपड़ा सप्लाई डिपो
बुनकर नगरी के नाम से विख्यात टांडा अपने टेरीकाट के कपड़े के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां के बुने कपड़े विभिन्न राज्यों में भेजे जाते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब एक जिला, एक उत्पाद के तहत टांडा के टेरीकाट को शामिल किया था तो यहां के बुनकरों के भीतर उम्मीद की किरण जगी थी। उन्हें लगा था कि अब उनकी समस्याओं का अंत हो जाएगा और वे अपना कारोबार सुविधाजनक ढंग से कर सकेंगे लेकिन तमाम मांगपत्रों के बाद भी उनके क्षेत्र में कपड़ा सप्लाई डिपो की मांग आज तक पूरी नहीं की जा सकी।
हर बार टूटा बुनकरों का भरोसा, समस्या से नहीं मिली निजात
दरअसल, यहां कई दशकों से बुनकर अपने कपड़े की सप्लाई के लिए डिपो की मांग कर रहे हैं। हर बार चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि उन्हें कपड़ा सप्लाई डिपो स्थापित करने का आश्वासन देते हैं लेकिन चुनाव बाद अपने वादों को भूल जाते हैं। इसके कारण यहां के बुनकरों को लागत के मुताबिक लाभ नहीं मिल पा रहा है। साथ ही दूसरे राज्यों में कपड़ा भेजने के लिए उन्हें आज भी हर शनिवार को हक्कानी बाजार में लगने वाली साप्ताहिक कपड़ा मंडी का इंतजार करना पड़ता है। यहीं से उन्हें कपड़ा तैयार करने के लिए महंगे दामों में धागा और अन्य सामग्री खरीदनी पड़ती है। इसके कारण उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हर वर्ष सौ करोड़ का होता है टर्न ओवर
टांडा के प्रसिद्ध टेरीकाट कपड़े का प्रति वर्ष सौ करोड़ से अधिक का टर्न ओवर है लेकिन कपड़ा डिपो न होने से इसमें इजाफा नहीं हो पा रहा है। इससे सबसे अधिक नुकसान छोटे कारोबारियों को हो रहा है।
संचालित हैं बीस हजार से अधिक पावर लूम
टांडा में 20 हजार से अधिक पावर लूम संचालित हो रहे हैं और यहां प्रतिदिन दो लाख घन मीटर कपड़ा तैयार किया जाता है। हैरानी की बात यह है कि इन कपड़ों की बिक्री के लिए यहां स्थायी बाजार तक उपलब्ध नहीं हो सका है। बुनकरों का मानना है कि यदि यहां कपड़ा सप्लाई डिपो बन जाए तो न केवल कपड़े के उत्पाद में बढ़ोतरी होगी बल्कि स्वरोजगार का विस्तार भी हो सकेगा।
क्या कहना है इनका?
इस संदर्भ में मैंने सीएम योगी से बात की थी। उन्होंने इसके निर्माण का भरोसा भी दिया था लेकिन यह अभी तक नहीं बन सका है।
राममूर्ति वर्मा, विधायक सपा
कपड़ा डिपो की मांग काफी समय से की जा रही है लेकिन आज तक इसकी स्थापना नहीं की जा सकी है।
हाजी अशफाक अंसारी, बुनकर नेता
कपड़ा सप्लाई डिपो के लिए लगातार आवाज उठाई जा रही है लेकिन कोई भी समस्या का समाधान नहीं कर रहा है।
हाजी इफ्तेखार अंसारी, अध्यक्ष, बुनकर सभा
बुनकरों की समस्या पर कोई जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहा है। चुनाव के समय वे वादे तो करते हैं लेकिन उसे भूल जाते हैं।
हाजी कासिम अंसारी, बुनकर नेता