Lucknow: इंदिरानगर के जलकल घोटाले को फाइलों में दबाया

जल संस्थान कर्मचारी परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी शिकायत

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: नगर निगम के जलकल विभाग के इंदिरानगर के जोन सात में हुए लाखों के राजस्व  घोटाले में सचिव व तत्कालीन प्रभारी जोनल अधिकारी रमेश चंद्रा के फंसने के पूरे आसार हैं। जिसको देखते हुए जलकल विभाग के अफसरों ने घोटाले को फाइलों में दबा रहने देना ज्यादा मुफीद समझा है।

इंदिरानगर में इसी तर्ज पर प्रभारी की आईडी से खेल करके बीते वर्षों में करोड़ों के जलकर की तगड़ी चपत पहुंचाए जाने की आशंका है। घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी के दरबार में पहुंचने के बावजूद अफसर पूरी तरह बेफिक्र हैं। चंद्रा कठौता खनन घोटाले में भी सुर्खियां बटोर चुके हैं। बस कार्रवाई से बच निकले। हालांकि मौजूदा जीएम मनोज आर्य अभी इस फर्जीवाड़े से अनजान हैं।

पूर्व जीएम शशि गुप्ता ने जोनल अफसर की आख्या को कूड़े में फेंका

सन्देशवाहक ने 13 मार्च को जोन सात के जिस लाखों के राजस्व फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। उसे जलकल में कुछ दिनों के लिए आये पूर्व जीएम शशि गुप्ता ने दफन करा दिया। प्रभारी जोनल अधिकारी की सिफारिश के बावजूद दोषी आउटसोर्सिंग कर्मी तक नहीं हटाए गए।

शशि गुप्ता, पूर्व जीएम, जलकल

तत्कालीन जोनल प्रभारी अनिरुद्ध भारती ने 15 मार्च को तत्कालीन जलकल महाप्रबंधक (जीएम) शशि गुप्ता को इंदिरानगर के लाखों के राजस्व घोटाले पर आख्या भेजी थी। इसके बाद अब जलकल के कर्मचारियों ने भी इस घोटाले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। संदेश वाहक के खुलासे के बाद लखनऊ जल संस्थान कर्मचारी परिषद के महामंत्री हरीश कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लाखों के राजस्व घोटाले पर पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

रमेश चंद्रा, जलकल सचिव

जलकल सचिव रमेश चंद्रा को बचाने के लिए अफसर एकजुट

परिषद के पत्र के मुताबिक प्रभारी अधिशासी अभियंता रमेश चंद्रा की आईडी से जलकल की धनराशि शून्य की गयी। ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्व क्षति पहुंचाने में रमेश चंद्र के साथ जलकल के वर्तमान अफसरों का पूरा समर्थन है। इसी कारण इस घोटाले पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री को पत्र भेजने के बावजूद अभी भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पांच लाख 54 हजार 551 रुपयों के जलकर और सीवरकर के बिल को 80176 रुपयों में तब्दील कराकर जलकल को चार लाख 74 हजार 375 रुपयों की तगड़ी चपत लगाई गयी है।

घोटाले की विस्तृत जांच इसलिए जरूरी है क्योंकि कार्यवाहक जोनल प्रभारी ने खुद रिपोर्ट में स्वीकारा था कि जोन सात के कार्यालय में काफी राजस्व हानि पहुंचाई जा रही है। वहीं धनराशि जमा करने आने वाले उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है। जीएम को आख्या तत्कालीन प्रभारी जोन सात अनिरुद्ध भारती ने भेजी थी। जलकल को आर्थिक चपत लगाने के बड़े रैकेट के खिलाफ खुद कर्मियों ने आवाज उठायी है।

क्या था फर्जीवाड़े का मामला

दरअसल जलकर/सीवरकर के मद में इस्माईलगंज द्वितीय वार्ड हाउस आईडी-9157 ई27842 दुकान/मकान नं0-631/न्यू-2 सीसी कमता फैजाबाद रोड का बकाया बिल 5,54,551 रुपए का था।  उक्त भवन का सीवरकर चेक सं.-000044 के जरिये इस वर्ष तीन फरवरी को धनराशि  रुपए 80,176.00 जेएमडी कन्सलटेन्टस के आउटसोर्सिग कम्प्यूटर आपरेटर  आहत सिद्दीकी द्वारा जमा कराया गया। वहीं मै. तिवारी इन्टरप्राईजेज के आउटसोर्सिग कम्प्यूटर आपरेटर गौरव पाण्डेय द्वारा जलकर मद में धनराशि जीरो कर दी गयी है। नतीजतन जलकल विभाग को धनराशि  4,74,375 रुपए के राजस्व की हानि हुई थी।

सूत्रों के मुताबिक इंदिरानगर स्थित जोन सात में बिलों को संशोधित कराकर जलकल विभाग को तगड़ी चपत लगाने का खेल लम्बे समय से जारी है। इस खेल में आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मियों के साथ जलकल के नियमित कर्मी भी शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस जोन में जलकल के संशोधित कराये गए बिलों की जांच से पूरी तस्वीर साफ हो सकती है। रैकेट बिल जमा करने आये लोगों को गुमराह करके आउटसोर्सिंग कर्मियों के सहारे इस घोटाले को अंजाम दे रहा है। नतीजतन जलकल विभाग की करोड़ों रुपयों की राजस्व आय पर कैंची चल रही है।

मुझे अभी कोई जानकारी नहीं : जलकल जीएम

नगर निगम के जलकल विभाग के जीएम मनोज आर्य का कहना है कि उन्हें अभी इस मामले की कतई जानकारी नहीं है। उनसे जब पूछा गया कि जीएम को जोनल प्रभारी ने रिपोर्ट भेजी थी तो आर्य ने कहा कि मुझसे पहले रहे जीएम शशि गुप्ता के समय रिपोर्ट भेजी गयी होगी। अगर मेरे सामने प्रकरण आएगा तो कतई दब नहीं सकता। कार्रवाई जरूर होगी।

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