यादव सिंह को राहत से सीबीआई-ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल
2011 में भाजपा ने एक लाख करोड़ के घोटाले का लगाया था आरोप, आनंद कुमार व सतीश मिश्रा अभी भी सेफ
Sandesh Wahak Digital Desk: जिस भाजपा ने कभी नोएडा अथॉरिटी के पूर्व अरबपति चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ एक लाख करोड़ के घोटाले के दस्तावेजी साक्ष्य सार्वजनिक किये थे। उसी के शासनकाल में यादव सिंह को लगातार सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलना शीर्ष जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
2011 में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव और घोटाला पर्दाफाश समिति के अध्यक्ष डॉ. किरीट सोमैया ने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही के साथ लखनऊ में यादव सिंह के ऊपर नोएडा में एक लाख करोड़ के घोटाले के दस्तावेज सार्वजनिक किये थे।
300 फर्जी कंपनियों के सहारे काली कमाई को सफेद करने का आरोप
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के भाई आनंद कुमार और यादव सिंह के ऊपर तीन सैकड़ा फर्जी कंपनियों के सहारे काली कमाई को सफ़ेद करने के आरोप लगे थे। सवा सौ कंपनियों का विवरण भी दिया गया। आरोपों के मुताबिक बसपा महासचिव सतीश मिश्रा और उनके बेटे कपिल मिश्रा भी इन कंपनियों का हिस्सा थे। आनंद कुमार की डीकेबी इन्फ्रा ने संदिग्ध कम्पनी अग्रोहा सेविंग्स लिमिटेड के साथ वित्तीय लेनदेन/शेयर हस्तांतरण किया था।
वहीं आनंद कुमार के ग्रुप और कपिल सतीश मिश्रा के ऊपर 2007 में दिया रिलेटर्स प्रा. लि. के जरिये अरबों के बेनामी लेन-देन के संगीन आरोप लगाकर भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। सोमैया ने 300 में से जिन 20 कंपनियों की पहली सूची जारी की, उनमें 1200 करोड़ के घोटाले की रकम का खेल हुआ था। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में जुटी ईडी और सीबीआई दोनों ने अभी तक यादव सिंह की जांच के दौरान माया के भाई आनंद कुमार और बसपा नेता सतीश मिश्रा और उनके बेटे के खिलाफ शिकंजा नहीं कसा है।
यादव सिंह की गिरफ्तारी पर रोक, सीबीआई को नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। सीबीआई द्वारा सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और प्रशांत मिश्रा की पीठ ने यादव सिंह की याचिका को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
चार्जशीट दाखिल करने में देरी से मिलती है जमानत
जुलाई 2020 में सीबीआई की लापरवाही से यादव सिंह डासना जेल से जमानत पर रिहा हुआ था। सीबीआई ने 60 दिनों की जगह 119 दिनों में चार्जशीट दाखिल की थी। सात साल पहले ईडी ने भी देर से चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। नतीजतन सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी। हालांकि जमानत मिलने के बाद भी कई मामले होने के कारण यादव सिंह जेल में ही रहा। 2021 में औद्योगिक विकास के अफसरों ने साल भर तक यादव सिंह के खिलाफ अभियोजन मंजूरी लटकाकर रखी थी। ‘संदेश वाहक’ के खुलासे पर सीबीआई को मंजूरी दी गई।
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