Unnao Politics: साक्षी महाराज की लगेगी हैट्रिक या अन्नू टंडन रोकेंगी विजय रथ!
Sandesh Wahak Digital Desk/Mohd Atif Anam: उन्नाव जिले में लोकसभा चुनाव के लिए चौथे चरण में मतदान हो चुका है। चुनाव मैदान में रहे आठ प्रत्याशियों का भाग्य जनता ने अपने वोट के जरिए ईवीएम में कैद कर दिया। इसके नतीजे 4 जून को मतगणना के बाद ही आने वाले हैं लेकिन चुनाव के बाद हार जीत को लेकर प्रत्याशियों के समर्थकों में चकल्लस का दौर शुरू हो गया है। जिले में सोमवार शाम 6 बजे तक हुए मतदान के बाद कुल 55.4 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई है। जो पिछले लोकसभा चुनाव से मात्र एक फीसदी कम है।
मुख्य मुकाबला प्रमुख राजनैतिक दलों के तीन प्रत्याशियों के ही बीच
बता दें सोमवार को जिले में लोकसभा चुनाव के लिए चौथे चरण में मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। चुनाव मैदान में रहे आठों प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है। अपने प्रतिद्वंदियों और नोटा को पछाड़ कर जिसके खाते में सबसे अधिक मत जाएंगे जीत का ताज उसी के सिर सजेगा। प्रत्याशियों की बात की जाए तो मुख्य मुकाबला प्रमुख राजनैतिक दलों के तीन प्रत्याशियों के ही बीच है। जिनमें इंडिया गठबंधन और सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही पूर्व सांसद अन्नू टंडन व भाजपा के फायरब्रांड चेहरे और लगातार दो बार से सांसद रह चुके साक्षी महाराज के बीच कड़ा मुकाबला है।
मायावती के फैसले ने मतदाताओं के निराश किया
बसपा प्रत्याशी अशोक पांडेय को मिले वोट इन दोनों की हार जीत तय करने में निर्णायक साबित हो सकते है। भाजपा का रुख कर चुके एससी वोटरों पर बसपा प्रत्याशी कितने प्रभावशाली रहें यह मतगणना से पता चलेगा। हालांकि चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में बतौर बीएसपी के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर आकाश आनंद की जनसभा अशोक पांडेय के लिए अच्छी मानी जा रही थी। लेकिन चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमों द्वारा भतीजे आकाश आनंद के खिलाफ लिए गए सख्त निर्णय ने इस वर्ग के मतदाताओं को कहीं न कहीं निराश जरूर किया है।
अन्नू टंडन को मिल सकता है सीधा लाभ
ऐसे में यह वोटर अगर इंडिया गठबंधन के संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने जैसे प्रचारों के प्रभाव में आ गया होगा तो इसका सीधा लाभ अन्नू टंडन को पहुंच सकता है। जातीय आधार पर अगर साक्षी महाराज को सजातियों का एक मुस्त मत मिला है तो इसके जवाब में मुस्लिम मतदाता सपा प्रत्याशी के लिए लाभकर हो सकते हैं।
जिसकी वजह यह है कि इस दफा उनके वोट के बंटवारे की संभावना नहीं थी क्योंकि कोई दूसरा मजबूत दल या बड़ा मुस्लिम चेहरा चुनाव मैदान में नहीं था। टिकट वितरण के बाद से भाजपा प्रत्याशी के प्रति विरोध के स्वर मुखरित होते रहें है। जिसके तमाम उदाहरण सोशल मीडिया पर देखने को मिलते रहें है। जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।
राम मंदिर निर्माण बना चुनावी मुद्दा
राम मंदिर निर्माण को चुनावी मुद्दा बना कर वोटों का ध्रुवीकरण करने की पुरजोर कोशिशें जरूर हुई है लेकिन बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों के आगे यह भी अपना खास प्रभाव छोड़ता नजर नहीं आया। ऐसे में अगर जीत साक्षी महाराज पाले में जाती भी है तो उनके शुरुआती दिनों से किए जा रहे आपकी बार 5 लाख पार के दावे कहीं टिकते नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं इंडिया गठबंधन के दलों के वोटरों की एकजुटता अन्नू टंडन के साथ रही तो वह साक्षी का विजय रथ रोकने में कामयाब भी हो सकती है। फिलहाल जिले के चौराहों और चौपालों पर ऐसी हो राजनैतिक गांठजोड़ को लेकर प्रत्याशियों के समर्थक जीत हार का ताना बाना बुनते नजर आ रहे हैं।
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