संयुक्त राष्ट्र में फिलस्तीन की स्थायी सदस्य्ता का प्रस्ताव पास, भारत ने किया समर्थन
Permanent Membership Proposal For Palestine : संयुक्त राष्ट्र संघ में फिलिस्तीन को स्थाई मेंबर बनाने का प्रस्ताव पास होने से इजराइली राजदूत गिलाद एर्दान भड़क गए। उन्होंने अपनी स्पीच के दौरान UN चार्टर को फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि वो चार्टर को फाड़कर संयुक्त राष्ट्र को आइना दिखा रहे हैं।
अरब देशों ने रखा था प्रस्ताव
शुक्रवार को अरब देशों ने UN की जनरल असेंबली में फिलिस्तीन को UN का परमानेंट सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे भारत समेत 143 देशों का समर्थन मिला। वहीं अमेरिका, इजराइल समेत 9 देशों ने ही प्रस्ताव का विरोध किया। इस प्रस्ताव के पास होने से फिलिस्तीन ने UN का सदस्य बनने के लिए क्वालिफाई कर लिया है।
इजराइली ने बताया UN चार्टर का उल्लंघन
इजराइली राजदूूत गिलाद एर्दान ने फिलिस्तीन को सदस्य बनाने वाले प्रस्ताव को UN चार्टर का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा, “यह दिन UN की बदनामी के दिन के तौर पर याद किया जाएगा। मैं चाहता हूं कि पूरी दुनिया इस पल, इस अनैतिक काम को याद रखे। यह विनाशकारी वोट है। आप अपने हाथों से UN के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।”
हमास को बताया मॉडर्न नाजी
उन्होंने हमास का जिक्र करते हुए कहा, “UN ने मॉडर्न नाजियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। इसलिए मैं आपको आपके वोट का नतीजा बताने आया हूं। आप जल्द ही फिलिस्तीन के आंतकी देश के राष्ट्रपति याह्या सिनवार से मुलाकात करेंगे। जो आप लोगों को धन्यवाद देगा।”
फिलिस्तीन को क्या-क्या लाभ मिलेंगे
UN महासभा फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता तो नहीं दिला सकती, हालांकि इससे फिलिस्तीन को कुछ विशेष अधिकार मिल सकते हैं। सितंबर 2024 से फिलिस्तीन असेंबली हॉल में UN के सदस्यों के बीच बैठ सकेगा, लेकिन उसे UN के किसी भी प्रस्ताव में वोटिंग करने का अधिकार नहीं होगा।
अमेरिका लगा सकता है वीटो
परमानेंट मेंबरशिप का प्रस्ताव UN से पास होने के बाद UNSC जाएगा। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक यहां अमेरिका इस पर वीटो लगा देगा। ऐसा पहले भी हो चुका है। दरअसल, इसी साल अप्रैल में फिलिस्तीन को परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव UNSC में पेश किया गया था। प्रस्ताव के पक्ष में भी 12 वोट पड़े थे। लेकिन अमेरिका के वीटो के कारण प्रस्ताव पास नहीं हुआ था। अब एक UN जनरल असेंबली ने सिक्योरिटी काउंसिल से अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
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