दूसरे प्रदेशों में फेल केके स्पन को यूपी में क्यों दिये अरबों के ठेके?

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का… इस कहावत पर फरीदाबाद की दागी कम्पनी केके स्पन खरी उतरती है। जिसकी लापरवाही पर श्रमिक दिवस पर रेजीडेंसी के पास सीवर सफाई करने के दौरान मजदूर पिता-पुत्र की मौत हो गयी। इस कंपनी के गुनाहों की फेहरिस्त पर यूपी के अफसरों की मेहरबानी पुरानी है। तभी स्मार्ट सिटी योजना में इसे लगातार अरबों के ठेकों से नवाजा जाता रहा है। कई राज्यों में इस कम्पनी को दिए सीवर प्रोजेक्ट एक तरह से फेल भी हो चुके हैं। ऐसे में यूपी के प्रोजेक्टों पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।

अखिलेश सरकार के दौरान अंजाम दिए गए रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में दोषी फर्म केके स्पन को खुद सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में अयोग्य बताया था। इसके दोनों निदेशकों के नाम भी तीन साल पहले सीबीआई की चार्जशीट में शामिल थे। बाकायदा सिंचाई इंजीनियरों की साठगांठ से जाली दस्तावेजों के सहारे ठेका पाया गया था। फिर भी यूपी में इस कम्पनी के ऊपर कोई बंदिश अफसरों ने नहीं लगाई।

कई शहरों में सीवरेज से जुड़े अरबों के कार्य केके स्पन को सौपें गए

योगी सरकार के दौरान लखनऊ, मुरादाबाद और रायबरेली समेत कई शहरों में सीवरेज से जुड़े अरबों के कार्य केके स्पन को सौपें गए हैं। अमृत योजना के तहत मिले कामों में कम्पनी ने खूब लापरवाही बरती। इसके बावजूद इसे ब्लैकलिस्ट करने से परहेज किया गया। पिछले साल जुलाई में ही गोलागंज में सडक़ धंसने से कार उसमें आधी समा गई थी।

यह सडक़ स्मार्ट सिटी योजना में गहरी सीवर लाइन डालने के बाद तीन साल पहले बनाई गई थी। जल निगम ने केके स्पन के खिलाफ एफआईआर की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया था। इसी तरह रायबरेली में सीवर कार्यों में खूब लापरवाही बरती गई थी। जलनिगम के एक्सईएन ने कंपनी के एमडी और पीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसपी को पत्र भी लिखा था।

ठगी में गिरफ्तार हुआ था निदेशक, कई प्रदेशों में घटिया काम

केके स्पन के खिलाफ कई प्रदेशों में मुकदमें भी दर्ज हो चुके हैं। इस कम्पनी के निदेशक कविश गुप्ता को रायपुर में अमृत योजना में एसटीपी प्रोजेक्ट में करोड़ों की ठगी के मामले में दिल्ली में पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। कई प्रदेशों में केके स्पन कम्पनी ने अरबों की अमृत योजना में घटिया सीवर काम करके गड़बडिय़ों को अंजाम दिया था। मध्यप्रदेश के रीवा और सतना समेत कई शहरों में कम्पनी पर कार्रवाई भी हुई थी।

नगर विकास विभाग के पूर्व कद्दावर मुखिया थे मेहरबान

योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान नगर विकास विभाग के मुखिया रहे एक कद्दावर आईएएस ने दागी कंपनी केके स्पन को ठेके बांटने में कुछ ज्यादा ही दरियादिली दिखाई थी। जल निगम के बंटवारे से पूर्व इसके तत्कालीन एमडी भी शासन के मुखिया बने इस अफसर के आगे असहाय थे।

जेएनएनआरयूएम घोटाले की तर्ज पर न हो हश्र

बसपा सरकार में सीवर कार्यों के जेएनएनआरयूएम प्रोजेक्ट में घोटाला हुआ था। बड़े आईएएस की मेहरबानी से योजना फेल हो गई। सपा सरकार में नगर विकास मंत्री आजम खान ने घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के लिए अखिलेश को पत्र भी लिखा था। जेएनएनआरयूएम जैसा हश्र अमृत योजना का भी कहीं न हो जाए।

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