UP: बृजभूषण की शरण में भाजपा, पिता की विरासत संभालेंगे करण भूषण सिंह
Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: आखिरकार भारतीय जनता पार्टी को बृजभूषण सिंह की शरण लेनी ही पड़ी। भाजपा को कैसरगंज से बृजभूषण सिंह के विकल्प के तौर पर कोई प्रत्याशी नहीं मिला और भारतीय जनता पार्टी को बृजभूषण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को लोकसभा का टिकट देना पड़ा।
इस तरह से बीजेपी के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह के पुत्र करण भूषण सिंह की पॉलिटिक्स में एंट्री हो गई। वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालेंगे। करण भूषण डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं और पहली बार कोई चुनाव लड़ेंगे।
कई सीटों पर है बृजभूषण शरण सिंह का दबदबा
देवीपाटन मंडल की चारों लोकसभा सीटों के साथ ही आसपास की कई सीटों पर भी बीजेपी के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह का दबदबा माना जाता है। छह बार के सांसद बृजभूषण ने राजा आनंद सिंह, उनके पुत्र कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया और बलरामपुर के बाहुबली रिजवान जहीर को चुनावों में पटखनी देकर राजनीति में अपना वर्चस्व कायम किया।
साल 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर कैसरगंज से सांसद चुने गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह घर वापसी कर भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि, समाजवादी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया था, लेकिन राजनीति की हवा का रूख भांपने वाले बृजभूषण घर वापसी का मजबूत फैसला कर चुके थे।
बृजभूषण शरण सिंह पर लगा गंभीर आरोप
बीजेपी के टिकट पर वह कैसरगंज सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी सपा के विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह को करारी शिकस्त दी। इसके बाद 2019 में भी बृजभूषण बीजेपी के टिकट पर कैसरगंज सीट पर चुनावी रण में उतरे और शानदार जीत हासिल कर संसद में पहुंचे। पिछले साल देश की कुछ महिला पहलवानों द्वारा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। इस संबंध में दिल्ली की एक अदालत में मुकदमा भी चल रहा है, जिसमें आगामी 07 मई को फैसला आना है।
इसके मद्देनजर पहले से ही यह तय माना जा रहा था कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व कोई जोखिम भरा कदम नहीं उठाएगा। पार्टी हाईकमान बृजभूषण की जगह उनके परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट देने को तैयार था लेकिन बाहुबली समझौता करने को कतई तैयार नहीं थे। सूत्र बताते हैं कि इस बीच बीजेपी के शीर्ष नेताओं और बृजभूषण के बीच कई बार हुई बातचीत के दौरान टिकट को लेकर सहमति बन गई थी लेकिन ऐन वक्त पर बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैंडिडेट घोषित कर दिया गया। पार्टी के इस कदम से बृजभूषण हक्का-बक्का रह गए। उनके चेहरे पर खुशी के भाव नहीं दिखाई दिए। यहां तक कि जब करण भूषण सिंह उनके पैर छुए तो मोबाइल पर बात कर रहे बृजभूषण ने उन्हें हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया और बेटे के साथ खड़े होकर फोटो भी खिंचवाए लेकिन मोबाइल फोन पर बातें करना बंद रहीं किए।
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के इस फैसले से बृजभूषण खुश नहीं हैं, क्योंकि इस बार वह हर हाल में स्वयं कैसरगंज से चुनाव लडऩा चाहते थे। हालांकि, अब उनके सामने अपने छोटे बेटे को चुनाव जिताकर अपने राजनीतिक दबदबे, रसूख और वर्चस्व का लोहा मनवाने की चुनौती है।
कौन हैं करण भूषण सिंह?
करण भूषण सिंह का जन्म 13 दिसंबर 1990 को हुआ था। करण के एक बेटी और एक बेटा है। वह डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं और वह पहली बार कोई चुनाव लडऩे जा रहे हैं। उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से बीबीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की है।
12 फरवरी 2024 को हुए चुनाव में करण को सर्वसम्मति से उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ का अध्यक्ष चुना गया था। जब इनके पिता बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती संघ के अध्यक्ष थे, तब करण उपाध्यक्ष थे। कहा जाता है कि इस बार उनके कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने की अटकलें थीं, लेकिन बृजभूषण पर लगे आरोपों के चलते ऐसा नहीं हो सका।
हर बार बढ़ता रहा बृजभूषण के जीत का अंतर
कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ रही कैसरगंज सीट से बृजभूषण शरण सिंह 2009 में पहली बार साइकिल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और जीत हासिल किए थे। 2014 के चुनाव से ठीक पहले बृजभूषण शरण सिंह घर वापसी कर बीजेपी में शामिल हो गए। 2009 से 2019 तक लगातार तीन बार के सांसद बृजभूषण की जीत का अंतर हर चुनाव में बढ़ता रहा।
साल 2009 में सपा के टिकट पर उतरे बृजभूषण को 5 लाख 65 हजार 673 वोट मिले थे। बृजभूषण ने बसपा के सुरेंद्र नाथ अवस्थी उर्फ पुत्तू भैया को 72 हजार 199 वोट से हराया था। इसके बाद बृजभूषण को मिले वोट कम-अधिक होते रहे लेकिन उनकी जीत का अंतर हर चुनाव में बढ़ता ही चला गया। वर्ष 2014 में बृजभूषण बीजेपी के टिकट पर कैसरगंज से मैदान में उतरे।
बृजभूषण को 3 लाख 81 हजार 500 वोट मिले थे, लेकिन उनकी जीत का अंतर 78 हजार से अधिक वोटों का रहा था। बृजभूषण के निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह को 3 लाख 3 हजार 282 वोट मिले थे। साल 2019 में बृजभूषण को 5 लाख 81 हजार 358 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार चंद्रदेव राम यादव उर्फ करैली को 3 लाख 19 हजार 757 वोट प्राप्त हुए थे। बृजभूषण ने 2019 के चुनाव में 2 लाख 61 हजार 601 वोट के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
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