Gonda Lok Sabha Seat: कैंडिडेट के साथ भाजपा के विधायकों की भी अग्निपरीक्षा
Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिले में क्लीन स्वीप किया था। सभी सातों सीटों पर उसके प्रत्याशी जीतकर असेंबली में पहुंचे थे। विधानसभा चुनाव के दो साल बाद हो रहे लोकसभा चुनाव में अब भाजपा विधायकों की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। सही मायने में इस चुनाव में विधायकों की अग्नि परीक्षा भी होनी है।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मोदी-योगी की सुनामी के आगे विपक्षी दलों के प्रत्याशी धराशाई हो गए थे। गोण्डा सदर विधानसभा सीट पर सपा कैंडिडेट 90 हजार वोट हासिल करने के बाद भी ढेर हो गए थे। सबसे खास बात यह है कि इस सीट पर इतना वोट कभी समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय पंडित सिंह को भी नहीं मिला था।
प्रतीक भूषण सिंह ने सपा प्रत्याशी को किया था पराजित
जबकि उनकी लोकप्रियता और जनता से सीधे जुड़े होने का हवाला आज भी लोग दे रहे हैं। गोण्डा सदर सीट पर कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह के पुत्र प्रतीक भूषण सिंह लगातार दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी थे। उन्हें 96,528 वोट मिले थे। अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व मंत्री स्वर्गीय पंडित सिंह के भतीजे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सूरज को उन्होंने 6,699 वोटों से पराजित किया था।
सपा उम्मीदवार को 89,829 वोट प्राप्त हुए थे। मेहनौन विधानसभा सीट पर विनय कुमार द्विवेदी ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक नंदिता शुक्ला को 23,218 मतों से हराया था। विनय द्विवेदी को 107109 वोट मिले थे, जबकि सपा की नंदिता शुक्ला को 83,605 वोट प्राप्त हुए थे।
वहीं मनकापुर सुरक्षित विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रमापति शास्त्री ने लगातार दूसरी बार विजय पताका फहराया। उन्होंने सपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक रमेश कुमार गौतम को 42,396 वोटों से पराजित किया था। रमापति शास्त्री को 1 लाख 4 हजार 824 मत मिले थे, जबकि रमेश गौतम को 62 हजार 428 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।
गौरा विधानसभा सीट से भाजपा के प्रभात कुमार वर्मा ने भी लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।
उन्होंने सपा प्रत्याशी संजय सविता विद्यार्थी को 23,239 मतों से हराया। प्रभात वर्मा को 73,377 वोट मिले, वहीं संजय विद्यार्थी 50,138 पाने में सफल रहे। बलरामपुर जिले की उतरौला विधानसभा सीट पर भी भाजपा के राम प्रताप उर्फ शशिकांत वर्मा दोबारा जीतने में कामयाब रहे।
राम प्रताप वर्मा ने 21,769 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। उन्हें 87,162 वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हासिब खान को 65,393 मत प्राप्त हुए थे। वहीं कांग्रेस के धीरेन्द्र प्रताप सिंह को महज 12,944 वोट ही मिले थे।
दोनों दल में हैं विभीषण
अमूमन हर चुनाव में विभीषण पाए जाते हैं। ठीक उसी तरह लोकसभा चुनाव में भी विभीषण अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं, जो पार्टी प्रत्याशी के लिए खतरे की घंटी है और निश्चित रूप से इनसे पार्टी को नुक़सान पहुंचेगा। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में कुछ नेता व जनप्रतिनिधि विभीषण का काम कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पार्टी हाईकमान ऐसे लोगों की कुंडली तैयार करा रहा है।
लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद उनके क्षेत्र में पिछले चुनाव और इस चुनाव में मिले वोटों की समीक्षा की जाएगी, जिसके बाद पार्टी सख्त कदम भी उठा सकती है। वहीं मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी में भी विभीषणों की कमी नहीं है। यहां भी कुछ नेताओं के खासमखास बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, लेकिन वह खामोश हैं। ऐसे में उनकी भी भूमिका और निष्ठा पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
सपा को एमवाई के साथ कुर्मी वोटरों पर भरोसा
गोण्डा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने पिछड़ा कार्ड खेलते हुए स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा को मैदान में उतारा है। दरअसल, इस संसदीय क्षेत्र में कुर्मी वोटरों की अच्छी खासी तादाद है। इसके अलावा मुस्लिम-यादव पार्टी के आधार वोटर माने जाते हैं। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व की रणनीति है कि कुर्मी वोटरों को साधकर न सिर्फ चुनाव का रूख मोड़ा जा सकता है, बल्कि अप्रत्याशित और चौंकाने वाले नतीजे भी आ सकते हैं। यही वजह है कि श्रेया वर्मा का फोकस ज्यादातर कुर्मी बाहुल्य इलाकों पर ही है। पार्टी के जिला सचिव उपेन्द्र प्रताप सिंह बब्बू कहते हैं कि मुस्लिम व यादव के साथ ही सजातीय (कुर्मी) मतदाताओं पर भी भरोसा है। इसलिए सपा प्रत्याशी की जीत पक्की है।
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