Lucknow: नहीं रहे मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी, चाहने वालों में शोक की लहर
Maulana Abdul Aleem Farooqui Death: जमीयत उलमा ए हिन्द के उपाध्यक्ष और जुलूसे मदहे सहाबा के संरक्षक मौलाना अब्दुल अलीम फारुकी का बुधवार को लंबी बीमारी के बाद सुबह इंतकाल हो गया। उनके जनाजे की नमाज नदवा में अस्र की नमाज के बाद पढ़ी गई । ऐशबाग कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द ए खाक किया गया।
मौलाना अलीम फारूकी के इंतकाल की जानकारी मिलते ही उनके चाहने वालों में गम की लहर दौड़ गई और लोग चौधरी गढ़ैया स्थित उनके आवास पर पहुंचना शुरू हो गए। मौलाना (76) काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मौलाना फारूकी के 3 बेटे और 1 बेटी हैं।
मौलाना दारूल उलूम देवबंद और नदवा की कार्यकारिणी सदस्य थे। इसके साथ ही शौकत अली हाता स्थित मदरसा दारुल मुबल्लिगीन के प्रबंधक भी थे। इसके अलावा शिया सुन्नी समझौते के बाद जुलूस ए मदहे सहाबा की अगुवाई कर रहे थे।
चाहने वालों में शोक की लहर
मौलाना फारुकी के निधन की खबर सुनने के बाद उनके चाहने वालों में शोक की लहार दौड़ गई। प्रसिद्ध कवी माजिद देवबंदी ने बताया कि कुछ दिनों पहले हजरत से लखनऊ में मुलाकात रही, मुझ से देर तक कलाम सुना और बेइंतहा दुआओं से नवाजा। अल्लाह ताला उन्हें जन्नतुल फ़िरदौस में आला से आला मुक़ाम अता फ़रमाये।
सपा नेता और सहारनपुर देहात से विधायक आशु मालिक ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद एवं नदवा तुल उलेमा लखनऊ की मजलिस शुरा के सदस्य मशहूर आलिम-ए- दीन हज़रत मौलाना अब्दुल अलीम फारुक़ी साहब हम सबको छोड़ रब्बे कायनात से जा मिले।
उनके इस तरह अचानक चले जाने की खबर से मन बहुत दुखी है। अल्लाह ताला उनकी मगफिरत फरमाए। मोला ए करीम से दुआ करते हैँ की जन्नत उल फ़िरदौस में आला से आला मक़ाम दे। तमाम चाहने वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए, अमीन।
जमीयतुल उलेमा ने कहा भरपाई नामुमकिन
जमीयतुल उलेमा-ए-हिंद ने एक बयान जारी कर के कहा कि मौलाना का चंद दिनों की बीमारी के बाद आज निधन हो गया। मौलाना का ऐसे समय में निधन हुआ है जब समाज और राष्ट्र को उनकी सख्त ज़रूरत थी, मौलाना फ़ारूक़ी जैसे तेज़-तर्रार और निडर रहनुमा का अचानक से चले जाना एक बड़ी क्षति है जिसकी भरपाई नामुमकिन है।
वह विश्व स्तर पर प्रसिद्ध थे, नामूस-ए-सहाबा हिफाज़त के लिए मौलाना फारूकी का लंबा संघर्ष एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस संबंध में दिया गया आपका बलिदान अल्लाह क़बूल करे। जमीयतुल उलेमा मौलाना फारूकी के निधन को अपूरणीय क्षति मानती है।