कानपुर लोकसभा सीट: प्रत्याशी को मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं भाजपाई
दिग्गज भाजपा नेता प्रकाश शर्मा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बयां किया दर्द, प्रत्याशी को लेकर पुनर्विचार की अपील
Sandesh Wahak Digital Desk/Chetan Gupta: दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है और यूपी का प्रमुख राजनीतिक गढ़ कानपुर है। कानपुर का प्रभाव आसपास की कई सीटों पर पड़ता है, यही कारण है कि कानपुर लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है। इस बार भाजपा से प्रत्याशी के तौर पर पूर्व पत्रकार रमेश अवस्थी को चुनावी मैदान में उतारा गया है जो की आम भाजपा कार्यकर्ता के गले नहीं उतर पा रहे हैं।
उनको लेकर अंदरखाने से कई तरह की सुगबुगाहट है। उनकी प्रत्याशिता की किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। भाजपा कार्यकर्ताओं को तो छोडि़ए स्थानीय नेता भी सकते में है। उनकी छटपटाहट का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि अभी भी रमेश अवस्थी को लेकर कोई भी कॉन्फिडेंट नजर नहीं आ रहा है।
प्रत्याशी को लेकर पुनर्विचार का अनुरोध
बचपन से ही संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े भाजपा के स्थानीय दिग्गज नेता प्रकाश शर्मा ने तो खुलकर उनकी प्रत्याशिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं और प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज कर प्रत्याशी को लेकर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश शर्मा का 16 अप्रैल की तिथि का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया पत्र अब वायरल हो रहा है। प्रकाश शर्मा के लेटर बम के फूटते ही भाजपा में हड़कंप मच गया। कार्यकर्ताओं से लेकर नेता तक भीतरखाने से इस बात को लेकर सहमति जता रहे हैं कि कहीं ना कहीं प्रत्याशी चयन में पार्टी हाईकमान से चूक हुई है। जिसका खामियाजा न भुगतना पड़ सकता है।
मौके की नजाकत को भांपते हुए भाजपा प्रदेश नेतृत्व विरोध के स्वर को दबाने के लिए एक्टिव हो गया है। शनिवार को भाजपा प्रत्याशी रमेश अवस्थी के नामांकन से पूर्व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने समर्थन में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया।
प्रकाश शर्मा के लेटर से तेज हुई सियासी हलचल
शहर के सभी राजनीतिक ध्रुवों को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया ताकि कार्यकर्ताओं और भाजपा समर्थित वोटरों में यह संदेश जा सके कि कहीं पर भी किसी तरह की कोई गुटबाजी नहीं है लेकिन प्रकाश शर्मा के लेटर ने कार्यकर्ताओं के भीतर दबी चिंगारी को हवा दे दिया है। हर कोई इस बात की चर्चा करता नजर आ रहा है कि प्रत्याशी उन सबके बीच का होना चाहिए न कि थोपा हुआ।
पिछले दो लोकसभा चुनाव से है बीजेपी का इस सीट पर कब्जा
कानपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी पिछले दो लोकसभा चुनाव से काबिज है। 2014 में कांग्रेस के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को भारी मतों से हराकर बीजेपी के राष्ट्रीय नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट पर कमल खिलाया था। उनके बाद 2019 में योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी ने एक बार फिर डेढ़ लाख से ज्यादा मतों से श्रीप्रकाश जायसवाल को हराकर जीत दिलाई थी। जीत की हैट्रिक का इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं की नाराजगी अब सामने आने लगी है।
बजरंगदल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश शर्मा ने पीएम मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य जिम्मेदारों को पत्र लिखते हुए कहा है कि कानपुर में भाजपा ने जो प्रत्याशी घोषित किया, उनसे पार्टी के कार्यकर्ता पूरी तरह अनजान हैं।
प्रकाश शर्मा ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि पार्टी ने जिसे अपना प्रत्याशी बनाया है, उनका कानपुर से कोई नाता ही नहीं है। ऐसे में पार्टी ने किस तरीके से फैसला किया है, ये सोचने वाली बात है। प्रकाश शर्मा ने यह बात भी लिखी है कि कार्यकर्ताओं ने उनसे कहा था कि अगर आप पत्र भेज रहे हैं, तो इससे आपको हानि हो सकती है लेकिन, व्यक्तिगत हानि की फिक्र न करते हुए उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से यह अपील की है कि वह इस मामले को गंभीरता से देखें और प्रत्याशी को लेकर पुनर्विचार करें।
अवस्थी की हार में छिपा है कई नेताओं का भविष्य
सांसद बनने का सपना संजोए कानपुर शहर के कई दिग्गज नेता अंदरखाने से रमेश अवस्थी को चुनाव हराने में जुटे हैं। उम्र के जिस पड़ाव में वो है, उनको यह बेहतर मालूम है कि अगर रमेश अवस्थी चुनाव जीते तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में उनका टिकट कटना मुश्किल होगा क्योंकि अभी उनकी उम्र 60 साल के अंदर है।
कानपुर शहर में टिकट के जो दावेदार थे, उनमें से कई ऐसे नेता हैं जो 5 साल बाद एक बार फिर टिकट की दावेदारी कर सकते हैं लेकिन उसके बाद फिर उन्हें मौका नहीं मिल पाएगा। भाजपा कार्यकर्ताओं में हंसी ठिठोली में यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि बढ़ती उम्र की वजह से जिस तरह से भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में रखकर दूसरों को मौका दिया गया तो यह भी तय है कि कानपुर के भी कई नेता स्थानीय स्तर पर मार्गदर्शक की भूमिका में नजर आएंगे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी का 2019 में कानपुर से टिकट कटना इस बात के जीता जागता उदाहरण हैं।