Gonda Politics: पहले भी आठ साल नगरपालिका में रहा प्रशासक राज
Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: नगर पालिका गोण्डा पिछले दो दशक से कई मामलों में चर्चित रही है। साल 2007 में हुए चुनाव में पड़े मतों की गणना ही पूरे पांच साल नहीं हुई। उस समय सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और प्रदेश का पहला मामला साइलेंट बूथ कैप्चरिंग का सामने आया था। साल 2012 में हुए चुनाव में जीते चेयरमैन को सत्ता और रसूख के बल पर डेढ़ साल बाद ही पद से हटा दिया गया था। राजनीति के रिंग मास्टर की कलाबाजियों के चलते तब गोण्डा नगर पालिका परिषद काफी चर्चा में रही। अब एक बार फिर शहरवासी प्रशासक राज के हवाले कर दिए गए हैं।
गुरुवार को डीएम नेहा शर्मा ने सिटी मजिस्ट्रेट विजय कुमार शर्मा को प्रशासक नियुक्त कर दिया। दरअसल, शहर के रकाबगंज स्थित शत्रु संपत्ति की दुकान संख्या 15 व 16 को हड़पने के मामले में प्रशासन स्तर से नगर पालिका परिषद की चेयरपर्सन उज्मा राशिद के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।
गृह मंत्रालय के स्तर पर कराई गई थी संरक्षक शत्रु संपत्ति की जांच
प्रशासन का कहना है कि 1967 में देशभर की शत्रु संपत्तियों को संरक्षक शत्रु संपत्ति गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के नाम हस्तांतरित कर दिया गया था। इसके बावजूद शहर के रकाबगंज में वर्ष 2020 में शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने का मामला सामने आया। संरक्षक शत्रु संपत्ति गृह मंत्रालय के स्तर पर जांच कराई गई तो आरोपों की पुष्टि हुई।
जांच में सामने आया कि उज्मा राशिद को वर्ष 2001-02 से इस संपत्ति का किरायेदार दिखाया गया। इसके बाद इस संपत्ति का उज्मा को हस्तांतरण भी किया गया। जांच में नगर पालिका परिषद गोण्डा के शत्रु संपत्ति संबंधी दस्तावेजों से छेड़छाड़ किए जाने की भी पुष्टि हुई। कूटरचना कर अनियमित एवं अवैध तरीके से उजमा राशिद का नाम इन दस्तावेजों में अंकित किया गया।
गृह मंत्रालय के आदेश पर डीएम ने प्रकरण को संज्ञान में लिया और बीते 17 मार्च को चेयरमैन उजमा राशिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई। ईद के दो दिन पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजा दिया गया था, तब से उन्हें बेल नहीं मिल पा रही है।
2007 में साइलेंट बूथ कैप्चरिंग की रिपोर्ट पर निरस्त कर दिया गया था चुनाव
बताते चलें कि गोण्डा नगर पालिका सीट पर चार बार सपा का कब्जा रहा है। सपा से एक परिवार के पिता-पुत्री (कमरूद्दीन-उज्मा राशिद) मिलाकर चार बार चेयरमैन बन चुके हैं। प्रदेश की यह पहली नगर पालिका सीट है, जहां पर वर्ष 2007 में सपा शासनकाल में साइलेंट बूथ कैप्चरिंग का हवाला देते हुए एक सियासी साजिश के तहत चुनाव निरस्त करा दिया गया था। वर्ष 2007 में गोण्डा नगर पालिका का चुनाव पूरे प्रदेश में चर्चित हुआ था। उस समय सपा के कद्दावर नेता स्वर्गीय विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह मंत्री थे।
2012 के चुनाव में जीते थे बीजेपी के निर्मल श्रीवास्तव
उस समय रहे डीएम ने सत्ता के दबाव में नगर पालिका परिषद के चुनाव में साइलेंट बूथ कैप्चरिंग की रिपोर्ट भेज दी थी, जिससे चुनाव निरस्त हो गया था और दोबारा चुनाव नहीं हुआ। पांच वर्षों तक अधिकारी और प्रशासक नगर पालिका को चलाते रहे। वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा से रूपेश उर्फ निर्मल श्रीवास्तव की जीत हुई। लेकिन यह जीत सत्ता में बैठे लोगों को रास नहीं आई और डेढ़ साल बाद ही रूपेश के अधिकार सीज हुए व नगर पालिका को प्रशासक के हवाले कर दिया था।
क्या कहती हैं डीएम नेहा शर्मा?
गोण्डा नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष उज्मा राशिद के सभी वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों पर रोक लगा दी गई है। शत्रु संपत्ति प्रकरण में प्रथम दृष्टया आरोप सिद्ध होने पर यह कार्रवाई की गई है। शासन के आदेश पर इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। नगर पालिका अध्यक्ष उजमा राशिद को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है।
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