UP: जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री का खेल, अरबों के राजस्व की चपत
बीते वर्षों के दौरान प्रदेश भर के निबंधन दफ्तरों में तगड़ी पैठ जमा चुका है संगठित गिरोह
Sandesh Wahak Digital Desk: जमीनों की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा रोकने के हाईटेक दावे स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के अफसरों ने किये थे। फिर भी फर्जी रजिस्ट्रियों के मामले नहीं रुके। गोरखपुर में फर्जी स्टाम्प के बड़े गिरोह के पकड़े जाने के बाद प्रदेश में तीन साल के दौरान हुई रजिस्ट्रियों की जांच के आदेश जारी हुए हैं। प्रदेश में फर्जी रजिस्ट्रियां कराने का एक बड़ा सिंडिकेट तैयार हो चुका है। जिसकी साठगांठ दफ्तरों में बैठे विभागीय अफसरों-कर्मियों से है। सिर्फ एलडीए में सैकड़ों करोड़ के भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्रियां अंजाम दी गयी हैं।
यूपी में तकरीबन 60 हजार करोड़ के घोटाले की इबारत लिखने वाली फर्म शाइन सिटी के जिम्मेदार ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच के बावजूद खुलेआम करोड़ों की जमीने बेच रहे हैं। आसिफ नसीम ने जहां जेल से पावर ऑफ अटॉर्नी देकर तकरीबन साढ़े 800 से ज्यादा बैनामे करवा डाले। वहीं अब फर्जी तरीके से चंदौली में शाइन सिटी के मुखिया राशिद नसीम के नाम दर्ज जमीनों की रजिस्ट्रियां हो रही है।
यूपी में रजिस्ट्रियों की जालसाजी के पीछे एक संगठित गैंग काम कर रहा
जबकि राशिद विदेश में बैठा हैं। इसी तरह अयोध्या रोड से सिर्फ एक किमी की दूरी पर स्थित एक बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री करोड़ों में की गयी है। ऐसे कई उदाहरण हैं। न सिर्फ लखनऊ बल्कि पूरे यूपी में रजिस्ट्रियों की जालसाजी के पीछे एक संगठित गैंग काम कर रहा है। तहसीलों में शाइन सिटी की अधिकांश रजिस्ट्रियों में निबंधन लिपिक नहीं बदलते। इसको सिर्फ इत्तेफाक नहीं कहा जा सकता।
मोहनलालगंज के इसी लिपिक ने वाराणसी जेल में बंद शाइन सिटी के निदेशक अमिताभ श्रीवास्तव की रजिस्ट्री भी कराई थी। हालांकि पूछे जाने पर उसने कहा कि मेरा काम सिर्फ रजिस्ट्री कराना है। मैं राशिद या शाइन सिटी को कतई नहीं जानता। ये सिर्फ चंद उदाहरण हैं। सिंडिकेट की गहराई से जांच हो तो प्रदेश भर में अरबों के राजस्व की चोरी का खेल भी बेनकाब होते देर नहीं लगेगी।
एजेंट बने सब रजिस्ट्रार, लखनऊ में भी गिरोह सक्रिय
पिछले साल भू-माफिया कमलेश के इशारे पर फर्जी रजिस्ट्री करने में संलिप्त गोरखपुर के चौरीचौरा के सब रजिस्ट्रार चंद्रशेखर शाही को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। नेटवर्क सरकारी कर्मी चला रहे थे। इसी तरह मेरठ में 25 हजार के तमाम स्टांप में फर्जी मुहर मिलने के मामले सामने आए। एक दिन पहले ही लखनऊ कमिश्नरेट के जेसीपी (कानून व्यवस्था) उपेंद्र अग्रवाल ने फर्जी रजिस्ट्री का खेल पकड़ा है। उन्होंने प्रमुख सचिव राजस्व को पत्र लिखकर 10 साल में हुई रजिस्ट्रियों की जांच कराने की सिफारिश की है। विभागीय कर्मियों से साठगांठ कर गिरोह फर्जी रजिस्ट्री कर जमीनों पर कब्जा कर रहा है।
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