UP: बाराबंकी पुलिस की नाक के नीचे दो माह से चल रही थी तमंचा फैक्ट्री
दस निर्मित, सात अद्र्धनिर्मित तमंचे और अन्य उपकरण बरामद
Sandesh Wahak Digital Desk: बाराबंकी पुलिस की नाक के नीचे करीब दो माह से तमंचा फैक्ट्री चल रही थी, लेकिन अफसरों को भनक तक नहीं लगी। रामसनेही घाट पुलिस गश्त करती रही और सीतापुर का हिस्ट्रीशीटर सिसौना जंगल में बैठकर तमंचे बनाता रहा।
आखिरकार सूचना पर शनिवार को पुलिस ने तमंचे बनाने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मौके से दस निर्मित तमंचे, सात अद्र्धनिर्मित, कारतूस, खोखा, भारी मात्रा में शस्त्र बनाने के उपकरण और पांच सौ रुपए बरामद किए हैं। तमंचे बनाने का ऑर्डर देने वाला फरार है, जिसकी तलाश में छापेमारी की जा रही है।
एसपी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि करीब तीन हफ्ते पहले देवा इलाके में तमंचा फैक्ट्री पकड़ी गई थी। सूचना थी कि एक और गिरोह तमंचे बनाने का काम कर रहा है। पड़ताल के दौरान इंस्पेक्टर ओपी तिवारी और उनकी टीम ने सिसौना जंगल में छापेमारी कर चंद्रिका निवासी सकरन सीतापुर को दबोचा।
आरोपी ने कबूला कि बाराबंकी के गोविंद ने उसे 20 तमंचे बनाने का ऑर्डर दिया था। प्रति तमंचे की कीमत तीन हजार रुपए तय हुई थी। साथ ही तमंचा बनाने में जरूरी उपकरण मुहैया कराए थे। एएसपी साउथ अखिलेश नारायण सिंह ने बताया कि आरोपी चंद्रिका के खिलाफ सीतापुर में एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। वह पूर्व के तीन बार तमंचे बनाने में जेल गया है।
गोविंद के हाथ लगने से खुलेंगे कई राज
एसपी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी गोविंद के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज हैं। गोविंद ने तमंचे का ऑर्डर क्यों दिया? तमंचों का इस्तेमाल कहां होना था? माल आगे किसे देता? इनका जवाब गोविंद के मिलने के बाद ही मिल पाएगा।
60 हजार का था ऑर्डर, एडवांस मिले थे 10 हजार
एएसपी अखिलेश नारायण सिंह ने बताया कि आरोपी चंद्रिका को गोविंद ने 60 हजार में 20 तमंचे बनाने का ऑर्डर दिया था। इसके एवज में उसे 10 हजार रुपए एडवांस दिया था। दस निर्मित और सात अद्र्धनिर्मित तमंचे मिले हैं।
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