खबर का असर: चुनाव आयोग ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा से मांगा जवाब
Sandesh Wahak Digital Desk: सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का… इस कहावत पर यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी के ऐसे अफसर सटीक बैठते हैं। जिन्होंने आदर्श आचार संहिता के दौरान भी नए नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज खुलवाने और पूर्व से जारी पाठ्यक्रमों में सीट वृद्वि के लिए प्रक्रिया शुरू की।
आचार संहिता के दौरान नेताओं और प्रभावशालियों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने के आरोपों पर चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। तीन अप्रैल को ‘संदेश वाहक’ में ‘रसूखदारों के कॉलेज खुलवाने के लिए मेडिकल फैकल्टी ने आचार संहिता रखी ताक पर’ शीर्षक से प्रकाशित खुलासे पर निर्वाचन अफसरों ने शासन से जवाब मांगा है।
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को इस संबंध में एक पत्र भेजा
सोमवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) नवदीप रिणवा के निर्देश पर संयुक्त निर्वाचन अधिकारी विनय कुमार पाठक ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को इस संबंध में एक पत्र भेजा है। जिसमें स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा नए कॉलेज खोलने संबंधी प्रक्रिया में आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों पर दो दिनों में स्पष्ट आख्या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर को भेजने की बात कही गयी है।
जिसकी पुष्टि भी खुद सीईओ दफ्तर के जिम्मेदार अफसरों ने की। हालांकि शासन से लेकर फैकल्टी तक बैठे अफसरों की नजर में कॉलेज खोलने के लिए 31 मार्च तक आवेदन मांगे जाने में आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। फिलहाल आचार संहिता उल्लंघन के इस मामले में फैकल्टी के अफसरों की गर्दन फंसती नजर आ रही है।
पुन: आवेदन क्यों मांगे?
चुनाव आयोग की जांच में अगर आचार संहिता का उल्लंघन साबित हुआ तो अफसरों पर कार्रवाई होनी तय है। ख़ास बात ये है कि दिसंबर में नए नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज खोलने और पाठ्यक्रमों की सीट वृद्धि के लिए आवेदन मांगे गए थे। सूत्रों के मुताबिक एक माह में करीब हजार आवेदन पहले ही आ गए थे। उसके बावजूद आवेदनों को पुन: मांगा गया।
UP: रसूखदारों के कॉलेज खुलवाने के लिए स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने आचार संहिता रखी ताक पर