Lucknow: सीजीएसटी लखनऊ के ताकतवर आईआरएस अफसरों को घोटालों पर अभयदान
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का… इस कहावत पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) में बैठे ऐसे ताकतवर आईआरएस सटीक बैठते हैं।
जिनके दामन पर भ्रष्टाचार के दागों की फेहरिस्त भले कितनी लम्बी हो, लेकिन उनका बाल बांका तक नहीं बिगड़ता है। इसमें सबसे ऊपर लखनऊ जोन में बैठे सेंट्रल जीएसटी और कस्टम के आईआरएस अफसरों का नाम है।
सबसे पहले प्रिंसिपल कमिश्नर रहे महेंद्र रंगा और एडिशनल कमिश्नर विवेक जैन का प्रकरण है। दोनों अफसर जब सेंट्रल जीएसटी लखनऊ में तैनात थे तो एसवीएलडीआरएस योजना के तहत एलडीए के 800 करोड़ के बकाये को नियम विपरीत कम करके विभाग को 207 करोड़ के राजस्व का झटका दिया था। सीएजी ने भी ऑडिट के दौरान योजना से जुड़ी फाइलें न दिखाने पर सीजीएसटी के शीर्ष अफसरों को कड़ा पत्र भेजा था।
करोड़ों के रिफंड वापसी का मार्ग प्रशस्त करने का आरोप
लोकपाल ने इस घोटाले को सीवीसी के पास भेजते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। फिर भी रंगा को प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर के पद पर प्रमोशन दिया गया। कार्रवाई अभी तक नहीं हुई। बारी अब प्रिंसिपल कमिश्नर संजय राठी की है। राठी के ऊपर गलत तरीके से दुर्गा ट्रेडिंग कम्पनी को करोड़ों के रिफंड वापसी का मार्ग प्रशस्त करने का आरोप है।
सूत्रों की माने तो यूपी के एक विभाग को राठी ने खूब फायदा पहुंचाया है। इसके कई केस खत्म किये जाने के मामले की जांच की आंच इस अफसर तक पहुंच चुकी है। संजय राठी को भी प्रमोट किये जाने की तैयारी है। करोड़ों के रिफंड वापसी मामले के तार प्रिंसिपल कमिश्नर केपी सिंह, एसी स्वपन श्रीवास्तव और जीजू फ्रांसिस से भी जुड़े हैं। फर्म को स्टैंडिंग काउन्सिल की क़ानूनी राय को ताख पर रखकर रिफंड दिया गया।
जांच कराने से अफसर पीछे हट रहे हैं। लखनऊ एयरपोर्ट पर पकड़े गए करोड़ों के सोना तस्करी काण्ड में तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कस्टम निहारिका लाखा की भूमिका भी संदिग्ध थी। खुद कस्टम के अधीक्षक ने पत्र लिखकर खुलासा किया था। दस करोड़ के सोना तस्करी काण्ड में डीआरआई ने सिर्फ हवलदार को पकडक़र बड़े अफसरों को पूरी तरह बख्श दिया। निहारिका को भी प्रमोशन दे दिया गया।
भ्रष्टाचार के मामले उठाने पर अभिजात बर्खास्त, अब दर्ज कराया केस, जारी है देश भर में एआईसीईआईए का प्रदर्शन
एआईसीईआईए लखनऊ सर्कल के महासचिव अभिजात श्रीवास्तव द्वारा सेंट्रल जीएसटी और कस्टम में बैठे बड़े अफसरों के भ्रष्टाचार और इंस्पेक्टरों के प्रमोशन समेत सीक्रेट फंड में गड़बडिय़ों के मामलों को उठाने के बाद आईआरएस लॉबी पूरी तरह तिलमिला गयी है। भ्रष्टाचार की शिकायत सीधे वित्त मंत्री से करने का आरोप लगाते हुए अभिजात को बड़े अफसरों ने पहले बर्खास्त किया।
फिर प्रधान आयुक्त केपी सिंह समेत अन्य अफसरों के खिलाफ करोड़ों के रिफंड की दरियादिली वाली शिकायत वित्त मंत्री से होने के बाद अब सहायक आयुक्त रश्मिकांत ने सीजीएसटी के प्रधान आयुक्त केपी सिंह को धमकाने का आरोप लगाकर अभिजात श्रीवास्तव और राष्ट्र रक्षक समूह के देवांशु मेहता के खिलाफ विभूतिखंड कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। अभिजात के उत्पीडऩ के खिलाफ और बहाली की मांग को लेकर कई दिनों से ऑल इंडिया इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन देशभर में लगातार प्रदर्शन कर रही है।
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