Lok Sabha Election 2024: राजनीतिक बिसात पर फिर भाजपा की बी टीम साबित होगी बसपा!
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती जिस अंदाज में पार्टी उम्मीदवारों के टिकट फाइनल कर रही हैं। उसने मायावती पर भाजपा की बी टीम होने के आरोपों को फिर रफ्तार दी है। विपक्ष का हिस्सा होने के बावजूद मायावती की सियासी रणनीति से न सिर्फ भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा बल्कि इंडिया गठबंधन को करारा झटका मिलने के संकेत हैं। खासतौर पर मुस्लिम बहुल सीटों पर।
ख़ास रणनीति के तहत मायावती ने अभी तक कुल घोषित 16 में से सात मुस्लिम उम्मीदवारों को सियासी रण में उतारकर अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण का दांव चला है। जिससे सवाल उठ रहे हैं कि बसपा के टिकट आखिर किसके इशारों पर फाइनल हो रहे हैं। बसपा के सात मुस्लिम प्रत्याशियों में सहारनपुर से माजिद अली, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन, मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी, रामपुर से जीशान खान, संभल से शौकत अली, आंवला से आबिद अली, पीलीभीत से अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू शामिल हैं।
10 सीटों में से सिर्फ चार पर ही बसपा ने उतारे प्रत्याशी
ख़ास बात ये है कि इनमें में से तीन सीटों (सहारनपुर, संभल और अमरोहा) पर इंडिया गठबंधन ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। जिसके बाद विपक्षी खेमों के बीच मुस्लिम वोट का बंटना तय है। जिसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। 2019 चुनाव में जीती गयी दस सीटों में से मायावती ने सिर्फ चार पर ही उम्मीदवार का ऐलान किया है।
जिसमें भी बसपा ने सहारनपुर, नगीना और बिजनौर में मौजूदा सांसदों को बदल दिया है। अमरोहा सांसद दानिश अली को बसपा पहले ही निष्कासित कर चुकी है। कांग्रेस ने सहारनपुर सीट पर इमरान मसूद और अमरोहा से दानिश अली को टिकट दिया है। संभल सीट से शफीकुर रहमान के पोते जिया-उर रहमान को सपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। मुस्लिम बहुल सीटों पर विपक्ष की आपसी धींगामुश्ती से सीधा फायदा सिर्फ भाजपा को मिल सकता है।
2019 में दस सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी बसपा
2019 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में यूपी में बसपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी उभर कर सामने आयी थी। 19.43 फीसदी वोटों के साथ बसपा ने 10 लोकसभा सीटें जीती थीं। जबकि मायावती संग गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी थी। बसपा के हाथी ने सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, लालगंज, घोसी, जौनपुर, गाजीपुर में बाकी प्रत्याशियों को रौंद दिया था।
इंडिया गठबंधन को एनडीए से ज्यादा मायावती से खतरा
सियासी विश्लेषकों के मुताबिक मायावती ने मजबूत मुस्लिम नेताओं को टिकट देकर सपा और कांग्रेस के लिए चुनाव में मुश्किलें खड़ी कर दी हंै। बसपा जिस तरह से उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ रही है, ऐसा लग रहा है इंडिया गठबंधन को एनडीए से ज्यादा मायावती से खतरा है। शायद इसलिए कांग्रेस ने बसपा को इंडिया गठबंधन में शामिल करने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन मायावती ने अकेले चुनाव लडऩे की ठानी। मायावती भाजपा के लिए बी-टीम की तरह काम कर रही हैं। सहारनपुर, रामपुर, पीलीभीत में अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारे हैं। ये सीटें ऐसी हैं कि जहां अगर अल्पसंख्यक उम्मीदवार थोड़े-थोड़े वोट भी काटेगा तो भाजपा के लिए इन सीटों को जीतना आसान हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव में भाजपा-बसपा में अघोषित गठबंधन : सपा
उम्मीदवारों की घोषणा के बाद सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा और बसपा में अघोषित गठबंधन था। ये गठबंधन 2024 लोकसभा चुनाव में भी जारी है। जिन सीटों पर विपक्ष मजबूत है, उन पर कैसे भाजपा को फायदा पहुंचाया जा सकें, वोट कटवा प्रत्याशी मैदान में उतारा जा सके, ये ध्यान में रखते हुए ही बसपा ने सूची जारी की है।
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