UP Politics: समानांतर पीडीए और ज्यादा टिकटों की चाहत ने बढ़ाया अखिलेश का सिरदर्द
Sandesh Wahak Digital Desk: देश में लोकसभा चुनाव का दंगल दो हिस्सों में सीधे तौर पर बंटा है। पहला मोदी का समर्थन दूसरा उनका विरोध। इसके इतर सपा के साथ जुड़े ओबीसी और दलित चेहरों ने अखिलेश से दूरी बनाई। जिससे विपक्ष के इंडिया गठबंधन पीडीए दांव की तपिश कम हुई है।
इसमें पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, पल्लवी पटेल, केशवदेव मौर्य और चंद्रशेखर रावण समेत कई नेताओं का नाम शामिल है। हालांकि सपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पीडीए के समानांतर ऐसे नेता दूसरा पीडीए बना रहे थे। कहा ये भी जा रहा है कि इन नेताओं को सपा प्रमुख ने चरखा दांव दिखाया है। माना ये भी जा रहा है कि यह सभी नेता अपने या अपनों के लिए अखिलेश यादव पर ज्यादा से ज्यादा टिकटों का दबाव बना रहे थे।
केशव देव मौर्य भी लोकसभा की दावेदारी मांग रहे थे
पल्लवी पटेल तीन सीट चाहती थीं, स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे और आधा दर्जन समर्थकों के लिए टिकट चाहते थे, चंद्रशेखर आजाद रावण अखिलेश के गठबंधन में चार सीटें मांग रहे थे, सलीम शेरवानी अपने लिए राज्यसभा का टिकट और अपने समर्थकों के लिए लोकसभा का टिकट चाहते थे। जबकि केशव देव मौर्य भी लोकसभा की दावेदारी मांग रहे थे। लेकिन अखिलेश यादव यह सब देने को तैयार नहीं थे।
ऐसे में अखिलेश से नाराज इन सभी नेताओं ने कांग्रेस की राह पकड़ने की सोची। बताया जाता है कि राज्यसभा चुनाव के पहले एक समानांतर पीडीए ग्रुप भी बनकर तैयार था जो अखिलेश यादव के पीडीए को जवाब देने के लिए बनाया गया था। इस ग्रुप के नेता कांग्रेस के साथ गठबंधन को तैयार थे।
कहा जाता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य इस ग्रुप को लीड कर रहे थे कि अगर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया तो उनका यह काल्पनिक पीडीए कांग्रेस के साथ खड़ा होगा और फिर कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा से मुकाबला करेगा। चूंकि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के कोऑर्डिनेशन को देख रहे थे ऐसे में सभी पार्टियों को अखिलेश यादव से ही सीटें फाइनल करनी थी। लेकिन मुंहमांगी मुराद अखिलेश के दरबार से पूरी नहीं हो सकी।
मुलायम का चरखा दांव दिलाया याद
इन सभी नेताओं को पक्का यकीन था कि कांग्रेस पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं जाएगी क्योंकि लगभग सपा अकेले लड़ने की तैयारी कर चुकी थी। वह कांग्रेस को दर्जन भर से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं थी। स्वामी प्रसाद मौर्य कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं के संपर्क में थे, पल्लवी पटेल सीधे गांधी परिवार के टच में थीं। इन नेताओं ने लगभग समानांतर पीडीए तैयार भी कर लिया था, लेकिन तभी अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह का आजमाया हुआ पुराना चरखा दांव चल दिया।
सपा-कांग्रेस की डील फाइनल होते ही उम्मीदों को झटका
इंडिया गठबंधन के सभी बड़े घटकों ने कांग्रेस पार्टी को आगाह कर दिया कि अगर अखिलेश यादव से गठबंधन नहीं हुआ तो फिर इंडिया गठबंधन टूट जाएगा, ऐसे में कांग्रेस पार्टी के साथ इस गठबंधन में आने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता और अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस के लिए 17 सीटों का ऐलान कर बता दिया कि वह कांग्रेस के साथ ही जा रहे हैं। राहुल और प्रियंका के इस मामले में आखिरी वक्त पर दखल देने के बाद सपा और कांग्रेस की डील फाइनल हो गई। फिर समानांतर पीडीए बनाकर चल रहे ये नेता सड़क पर आ गए।
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