UP Politics: कई लोकसभा सीटों का समीकरण बदल सकता है बृजभूषण सिंह का रुख
गोण्डा की सातों विधानसभा सीटों पर है दबदबा, सभी वर्गों में गहरी पैठ, राम जन्मभूमि आंदोलन में लिया था भाग
Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: गोण्डा से दो, बलरामपुर से एक और कैसरगंज लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद चुने गए बृजभूषण शरण सिंह का देवीपाटन मंडल के साथ ही पूर्वांचल की कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर दबदबा है। राजा आनंद सिंह, उनके पुत्र कीर्तिवर्धन सिंह, बाहुबली रिजवान जहीर, पंडित सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को पटखनी देने वाले बृजभूषण सिंह का गोण्डा की सातों विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। वे किसी भी प्रत्याशी को हराने का माद्दा रखते हैं। इतना ही नहीं, उनका रुख कई लोकसभा सीटों के समीकरण को न सिर्फ बदल सकता है, बल्कि चुनाव के नतीजे भी पलट सकता है। उनका यह प्रभाव उनके जनहित के कार्यों के कारण जमीन पर दिखता है।
1980 के दौर में पूर्वांचल के 8-10 जिलों में युवा नेता के तौर पर बृजभूषण शरण सिंह का नाम गूंजता था। वह वर्ष 1987 में गन्ना समिति के चेयरमैन का चुनाव लड़े और पहली बार में ही जीत गए। 1988 के दौर में वह पहली बार बीजेपी के संपर्क में आए और हिंदूवादी नेता की छवि के तौर पर खुद को स्थापित करने लगे। बीजेपी के करीब आने के बाद बृजभूषण ने पहली बार विधान परिषद का चुनाव लड़ा लेकिन 14 वोट से हार गए।
अयोध्या में भी साधु-संतों के दुलारे हैं बृजभूषण
हालांकि, इस हार के बाद वह कमजोर नहीं पड़े बल्कि लोकप्रिय होते चले गए। उस समय रामजन्मभूमि आंदोलन जोर पकड़ रहा था। गोण्डा के साथ-साथ अयोध्या में भी बृजभूषण साधु-संतों के दुलारे बन गए। महंत रामचंद्र परमहंस, महंत नृत्य गोपाल दास, हनुमान गढ़ी के स्वामी धर्म दास समेत तमाम संतों का आशीर्वाद लेकर बृजभूषण शरण सिंह मंदिर आंदोलन में सक्रिय हुए।
इस दौरान उन्हें लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता की छत्रछाया मिली। आडवाणी ने पहली यात्रा अयोध्या से शुरू की, जिसमें बृजभूषण उनके सारथी बनकर यात्रा के दौरान साथ रहे। बृजभूषण ने लालकृष्ण आडवाणी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राम मंदिर आंदोलन को संभाला। वर्ष 1992 में हुए बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत जिन 40 नेताओं को गिरफ्तार किया था, उसमें बृजभूषण शरण सिंह भी शामिल थे।
बृजभूषण सिंह की जीत लोकसभा के लिए बनी इतिहास
कुश्ती के अखाड़े से राजनीति के अखाड़े में आकर राजा आनंद सिंह, कीर्तिवर्धन सिंह, बाहुबली रिजवान ज़हीर और पंडित सिंह जैसे दिग्गजों को धूल चटाने वाले बृजभूषण दो बार गोण्डा, एक बार बलरामपुर (अब श्रावस्ती) के साथ ही पिछले 15 वर्षों से कैसरगंज लोकसभा सीट से अपराजित सांसद हैं। बृज भूषण सिंह 1991 में गोण्डा के दिग्गज नेता रहे राजा आनंद सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े और पहली बार सांसद चुने गए। 1,13,000 वोटों से हुई उनकी जीत गोण्डा लोकसभा के लिए इतिहास बन गई।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली राजनीतिक कर्मभूमि रही बलरामपुर लोकसभा सीट पर वाजपेयी के बाद बीजेपी को जीत की गारंटी दिलाने वाले नेता का नाम बृजभूषण शरण सिंह है और यह सब यकीनन सभी जाति-धर्म के लोगों में बृजभूषण की लोकप्रियता और गहरी पैठ के दम पर ही मुमकिन हुआ। बृजभूषण की खासियत यह है कि उन्हें मुस्लिम भी अच्छी तादाद में वोट देते हैं। क्षत्रिय मतदाताओं का न सिर्फ उन्हें एकमुश्त वोट मिलता है बल्कि ब्राह्मण समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है।
बाहुबली नेता रिजवान जहीर को बृजभूषण ने हराया था
सभी के दुख-सुख में हमेशा शामिल रहने वाले बृजभूषण को उनकी सरलता और उपलब्धता उनकी लोकप्रियता को फलक पर पहुंचाती है। साल 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार बलरामपुर से सांसद चुने गए। उसके बाद 1998 और 1999 में बाहुबली नेता रिजवान ज़हीर ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया। बीजेपी नेताओं के मन में इस बात की टीस थी कि प्रधानमंत्री वाजपेयी की पहली सियासी सीट पर कमल नहीं खिल रहा है। आखिरकार पार्टी ने 1999 के लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही जेल से रिहा हुए बृजभूषण शरण सिंह पर दांव लगाया।
लगातार दो बार से बलरामपुर लोकसभा जीतने वाले समाजवादी पार्टी के बाहुबली नेता रिज़वान ज़हीर को बृजभूषण शरण सिंह ने हरा दिया। 2004 में एक बार फिर बलरामपुर लोकसभा सीट पर बृजभूषण विजयी रहे। यह भारतीय जनता पार्टी में एक कद्दावर नेता का उदय था, जिसने पहलवानों के अखाड़े से लेकर सियासी रणभूमि तक अपनी ताक़त का एहसास कराया और करा रहे हैं। पहलवानी से लेकर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने तक और सियासत से चुनावी रण तक में बृजभूषण ने हर बार खुद को सियासी दुनिया का बाहुबली साबित किया है।
जनसमस्याओं के निपटारे में आगे
गोण्डा, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, अयोध्या, बस्ती, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, गोरखपुर समेत पूर्वांचल में बृजभूषण शरण सिंह की लोकप्रियता जगजाहिर है। जिले के नवाबगंज क्षेत्र अंतर्गत विश्नोहरपुर में स्थित अपने पैतृक आवास पर वह प्रतिदिन जनसुनवाई करते हैं और तमाम मामलों का निपटारा कराते हैं। गोण्डा, कैसरगंज के साथ ही आसपास के जिलों के लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास आते हैं, जिन्हें पूरी तरह संतुष्ट करके वह भेजते हैं। आमजन में उनकी अच्छी पैठ है।
करीब पांच दर्जन शिक्षण संस्थान किये हैं स्थापित
बृजभूषण ने शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी काम किया है। उन्होंने देवीपाटन मंडल के चार जिलों गोंडा, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती में करीब पांच दर्जन इंटर, डिग्री कॉलेज समेत तमाम शैक्षणिक संस्थान खड़े किये हैं। बिहार और पूरे पूर्वांचल से हजारों बच्चे इन कालेजों में शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। केवल नंदिनी महाविद्यालय में लगभग 20 हज़ार बच्चे पढ़ते हैं।
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