मिशन 2024: विपक्षी एकता को पूरी तरह जमींदोज करने पर आमादा है भाजपा
अबकी बार चार सौ पार के नारे को चरितार्थ करने के लिए इण्डिया गठबंधन के बाकी दलों पर भी पैनी नजरें
Sandesh Wahak Digital Desk: इस बार 400 पार, इसी वाक्य को अमलीजामा पहनाने के लिए लोकसभा चुनाव के वास्ते भाजपा जिस सियासी रणनीति पर तेजी से आगे बढ़ रही है। उसका सबसे प्रमुख मकसद विपक्ष की एकता को जमींदोज करना है। भाजपा की नजर उन क्षेत्रीय दलों पर पैनी है।
जिनका विपक्ष के इण्डिया गठबंधन के साथ जुडऩा सिर्फ सियासी मज़बूरी मात्र नजर आ रहा है। नीतीश और जयंत जैसे नेताओं की नजीर से इसे समझा जा सकता है। खासतौर पर हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा विपक्ष को पूरी तरह उखाडऩे की मुहिम में शिद्दत से जुटी है।
NDA का हिस्सा बनेगी RLD
आरएलडी का एनडीए में आधिकारिक रूप से प्रवेश महज औपचारिकता मात्र रह गया है। इसके संकेत बुधवार को आरएलडी विधायकों ने यूपी विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में चुप्पी साधकर दे दिए हैं। हालांकि पश्चिमी यूपी के लिए जयंत और भाजपा को एक दूसरे के लिए मजबूरी का सौदा ही करार दिया जा रहा है। लेकिन भाजपा की नजरें जयंत के साथ ही मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के प्रमुख चेहरों को तोडऩे पर भी लगी हैं।
अखिलेश भले राहुल की न्याय यात्रा में शामिल होने का फैसला कर चुके हैं, लेकिन सपा और कांग्रेस के दिल मिलने अभी बाकी हैं। विपक्ष के इण्डिया गठबंधन को भाजपा ने बंगाल, यूपी और बिहार में तगड़ा झटका दे दिया है। भाजपा का अगला नंबर अब महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की नरमी इसका संकेत भी दे रही है।
इण्डिया गठबंधन के घटक दलों को एक एक करके तोडऩे की सियासी रणनीति में जुटी भाजपा कांग्रेस को अलग थलग पूरी तरह से करना चाहती है। हालांकि भाजपा की इस मुहिम के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल भी मनमाने तरीके से किया जा रहा है। ऐसा आरोप प्रमुख विपक्षी नेताओं का है।
जांच एजेंसियों की दहशत भी विपक्षी नेताओं पर हावी
दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल, झारखंड के सीएम रहे हेमंत सोरेन और बिहार सीएम रहे लालू यादव के खिलाफ जिस अंदाज में एजेंसियों ने मोर्चा खोला, उसके बाद विपक्ष के कई साथी दलों के नेताओं को जेल जाने का भी भी डर सताने लगा है। विपक्षी एकता के दरकने का परिणाम यही है कि अभी तक लोकसभा चुनाव के वास्ते इण्डिया गठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अमल में आने का इन्तजार कर रहा है। जांच एजेंसियों के डर ने बसपा प्रमुख मायावती को भी एकला चलो की नीति अपनाने पर मजबूर कर दिया है।
पश्चिमी यूपी के भाजपाई दिग्गजों के सपनों पर ग्रहण
आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के साथ भाजपा की डील से पश्चिमी यूपी के उन नेताओं के सियासी समीकरण खतरे में पड़ते नजर आ रहे हैं। जिन्होंने यहां से अपनी मनचाही सीटों पर खड़े होने का सपना देखा था। इसमें भाजपा से संजीव बालियान समेत कई नेताओं का नाम प्रमुख है। जयंत की आरएलडी की तरफ से बुधवार को एक्स अकाउंट पर लिखा गया है कि हमारे किसान भोले जरूर हैं पर मूर्ख नहीं हैं। वे बहुत समझदार हैं और सशक्त हैं। इसके भी सियासी निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। इसे सपा से जोडक़र देखा जा रहा है।