‘मुझे खेलना है’… मुक्केबाजी संघ का नियम मैरी कॉम को रिंग से कर रहा दूर

Sandesh Wahak Digital Desk : अपने दमदार पंच से विरोधियों को परास्त करने वाली दिग्गज महिला मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम ने संन्यास लेने का ऐलान किया है. मैरी कॉम ने एक कार्यक्रम के दौरान संन्यास का ऐलान करते हुए कहा कि मैं अभी और खेलना चाहती हूं. लेकिन उम्र की वजह से मुझे खेलने नहीं दिया जा रहा है.

दरअसल, मैरी कॉम की उम्र 40 के ऊपर हो चुकी है और भारतीय मुक्केबाजी संघ 40 साल तक के ही मुक्केबाजों को लड़ने की इजाजत देता है. ऐसे में मैरी कॉम का अब खेल पाना मुश्किल ही माना जा रहा है. लेकिन फिर भी उन्होंने अपने शानदार करियर में ऐसे कई कारनामें किये हैं, जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए. तो आइये एक नज़र डालते हैं मैरी कॉम की कुछ खास उपलब्धियों पर…

मैरी कॉम ने साल 2001 में अपना डेब्यू किया था. महज़ 18 साल की उम्र में मैरी कॉम ने अमेरिका में पहली एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक अपने नाम किया था.

साल 2010 में मैरी कॉम ने कजाकिस्तान में एशियाई महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद मैरी कॉम ने साल 2012 लंदन ओलंपिक में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

इसके अलावा साल 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में एशियाई खेलों में मैरी कॉम स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनी थीं, साथ ही साल 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज भी बनीं.

नेशनल अवॉर्ड्स से हुईं सम्मानित

साल 2006 में मैरी कॉम को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. वहीं, 2009 में उनको देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया. इसके अलावा 2020 में पद्मविभूषण, साल 2013 में पद्मभूषण, और साल 2009 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड सम्मानित किया गया.

बता दें कि मैरी कॉम रिकॉर्ड 6 बार एमेच्योर एशियाई बॉक्सिंग चैंपियन बनने वाली एकमात्र मुक्केबाज हैं.

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