Karpuri Thakur को भारत रत्न देने पर मायावती की केंद्र सरकार से बड़ी मांग, चुनाव से पहले चला दलित कार्ड!
Mayawati News: केंद्र सरकार द्वारा आज बिहार की पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को भारत रत्न का सम्मान देने की घोषणा की है। केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार से बड़ी मांग कर दी है।
बसपा प्रमुख मायावती ने सरकार से मांग की है कि बीएसपी संस्थापक कांशीराम को भी उनके योगदान के लिए देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना चाहिए।
बसपा प्रमुख ने ट्वीट किया कि ‘देश में खासकर अति-पिछड़ों को उनके संवैधानिक हक के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष करके उन्हें सामाजिक न्याय व समानता का जीवन दिलाने वाले जननायक श्री कर्पूरी ठाकुर जी को आज उनकी 100वीं जयंती पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित’।
1. देश में खासकर अति-पिछड़ों को उनके संवैधानिक हक के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष करके उन्हें सामाजिक न्याय व समानता का जीवन दिलाने वाले जननायक श्री कर्पूरी ठाकुर जी को आज उनकी 100वीं जयंती पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित।
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2024
2. बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे देश के ऐसे महान व्यक्तित्व श्री कर्पूरी ठाकुर जी को देर से ही सही अब भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करने के केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत। देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए उनके परिवार व सभी अनुयाइयों आदि को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2024
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न
सिलसिलेवार ट्वीट में मायावती ने लिखा कि बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे देश के ऐसे महान व्यक्तिव कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को देर से ही सही अब भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए कर्पूरी ठाकुर के परिवार व सभी अनुयाइयों बधाई और शुभकामनाएं।
1. सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।
— Mayawati (@Mayawati) January 8, 2024
बसपा प्रमुख ने एक्स पर लिखा ‘सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई’।
इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया था। इसके साथ ही सियासी कटाक्ष भी कसा था। केंद्र के इस फैसले को ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत बताते हुए अखिलेश ने कहा था कि यह दिखाता है कि सामाजिक न्याय व आरक्षण के परंपरागत विरोधियों को भी मन मारकर अब पीडीए के 90 फीसदी लोगों की एकजुटता के आगे झुकना पड़ रहा है।
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