संपादक की कलम से: गरीबी पर नयी रिपोर्ट के मायने
Sandesh Wahak Digital Desk : भारत में गरीबी पर नीति आयोग की नयी रिपोर्ट राहत देने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले नौ सालों में देश में 24.82 करोड़ लोग स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के मामले में गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। इसमें सबसे अधिक यूपी के 5.94 करोड़ लोग शामिल हैं। कोरोना काल में जब मध्यम वर्ग के लाखों लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए थे तब यह रिपोर्ट निश्चित रूप से उम्मीद जगाती है।
सवाल यह है कि :-
- क्या गरीबी रेखा से इतने लोगों का बाहर आना सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम है?
- सरकारी योजनाओं का इसमें क्या योगदान है?
- क्या सरकार की नीतियों के कारण रोजगार के साधनों में हुई वृद्धि के कारण हालात बदल रहे हैं?
- क्या महंगाई की रफ्तार के बाद भी आम आदमी की क्रय शक्ति में खास कमी नहीं आई है?
- यूपी का इस मामले में अव्वल रहना किस ओर इशारा करता है?
- इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
पिछले नौ सालों के दौरान भारत ने कोरोना जैसी भयानक महामारी का करीब ढाई साल तक सामना किया। हालांकि कोरोना अभी भी पूरी तरह गया नहीं है। कोरोना के कारण लंबे लॉकडाउन ने भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया। अमेरिका और यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था आज भी मंदी की राह पर है।
भारत में बढ़ती बेरोजगारी के सामने यह पर्याप्त नहीं
वहीं भारत ने अपनी आर्थिकी बढ़ाने और लोगों की मदद करने के लिए कई कदम उठाए। कोरोना काल में मुफ्त राशन वितरण ने लोगों को सहारा दिया तो ठप हो चुके उद्योग धंधों के लिए राहत पैकेज भी उपलब्ध कराए। इसके अलावा अन्य योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया गया। रोजगार के मौके भी उपलब्ध कराए गए। हालांकि भारत में बढ़ती बेरोजगारी के सामने यह पर्याप्त नहीं है और इसके लिए सरकार को और कोशिश करने की जरूरत है।
बावजूद इसके सरकार के इन कदमों ने कोरोना से निपटने के बाद लोगों को आगे बढऩे में मदद मिली। वहीं हमारे कृषकों ने अन्न उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी और सरकार का अन्न भंडार भर दिया। इन सबका फायदा यह हुआ कि यूपी समेत देश में गरीबी में कमी आयी है। आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 में जहां गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले 29.17 प्रतिशत थे उनकी संख्या 2022-23 में घटकर 11.28 फीसदी हो गयी। निश्चित रूप से यह बड़ी गिरावट है।
इसमें दो राय नहीं कि इतने लोगों के गरीबी रेखा से बाहर आने से राज्य और केंद्र के खजाने पर असर पड़ेगा यानी इतने लोग गरीबों की योजनाओं से बाहर आ जाएंगे, जिससे इन पर खर्च किया जाने वाला धन बचेगा। हालांकि यदि महंगाई और बेरोजगारी पर सरकार अंकुश लगाने में सफल होती तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है। बावजूद इसके बेरोजगारी और महंगाई के बीच सरकार की यह उपलब्धि सराहनीय है लेकिन विकसित भारत का सपना तभी साकार हो सकेगा जब देश को गरीबी से निकालने की कोशिश और तेज की जाएगी।
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