संपादक की कलम से: हिंद महासागर में तनाव के संकेत
Sandesh Wahak Digital Desk : हिंद महासागर के एक छोटे से द्वीपीय देश मालदीव के चीन परस्त राष्टï्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत विरोधी नीतियां निश्चित रूप से इस क्षेत्र में आने वाले दिनों में तनाव बढ़ा सकती है। चीन से समझौता करने के बाद लौटे मुइज्जू ने अब भारत से मालदीव में रह रहे 88 सैनिकों को हटाने को कहा है। हालांकि इन सैनिकों को हटाने से मालदीव को ही नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि ये वे सैनिक है जो तकनीकी रूप से दक्ष हैं और इस छोटे से द्वीपीय देश की मदद करते रहे हैं।
सवाल यह है कि :
- क्या मालदीव के मामले में भारत कूटनीतिक रूप से कोई चूक कर गया?
- क्या मालदीव से खराब होते रिश्तों से रणनीतिक रूप से भारत को कोई नुकसान उठाना पड़ सकता है?
- क्या मुइज्जू सरकार की भारत विरोधी नीति मालदीव को भारी पड़ेगी?
- क्या मुइज्जू सरकार भारत के पलटवार को झेल पाएगा?
- क्या चीन मालदीव में भारत का स्थान ले पाएगा?
- क्या मुइज्जू की ये नीति चीन के कर्ज के बोझ तले मालदीव की हालत श्रीलंका वाली कर देगा?
हाल में मालदीव में हुए चुनाव में मोहम्मद मुइज्जू यहां के राष्ट्रपति बने। चुनाव के दौरान उन्होंने इंडिया आउट का नारा दिया था। साथ ही कहा था कि वे सत्ता में आए तो भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर करेंगे। माना जा रहा है कि भारत को घेरने के लिए चीन ने मुइज्जू को चुनाव जीतने में भरपूर सहयोग किया था और आर्थिक सहायता भी दी थी। लिहाजा मुइज्जू ने चुनाव की शुरुआत ही भारत विरोध से की। मालदीव से तनाव तब बढ़ गए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय द्वीप लक्षद्वीप की यात्रा की और दुनिया से यहां आने का आह्वान किया।
दस हजार के करीब भारतीयों ने यहां की यात्रा कैंसिल कर दी
इस पर मुइज्जू सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी और भारत के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। प्रतिक्रिया में दुनिया भर के भारतीयों ने बॉयकाट मालदीव का नारा बुलंद किया और दस हजार के करीब भारतीयों ने यहां की यात्रा कैंसिल कर दी। इसके बाद मुइज्जू चीन की यात्रा पर गए और वहां से लौटने के बाद भारत के खिलाफ जहर उगलने लगे।
दरअसल, चीन मालदीव के बहाने हिंद महासागर में अपनी पहुंच बनाना चाहता है इसलिए उसने इस छोटे से देश को अपना निशाना बनाया है। मालदीव, चीन के कर्ज तले दबा है और मुइज्जू सरकार आने के बाद यह उसका कठपुतली बन गया है।
दरअसल, मालदीव में महज 88 भारतीय सैनिक है और उनके वापस बुला लेने से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चीन यदि मालदीव में अपनी उपस्थिति दर्ज भी करा लेता है तो भी भारत की चिंता नहीं बढऩे वाली है क्योंकि हिंद महासागर में भारतीय नौ सेना बेहद मजबूत है। वहीं यदि भारत ने मालदीव से अपना हाथ खींच लिया तो न केवल उसका आर्थिक ढांचा चरमरा जाएगा बल्कि वह दैनिक वस्तुओं और दवाओं के लिए भी तरस जाएगा। साथ ही चीन के प्रति उसे मिला भारतीय सुरक्षा घेरा भी टूट जाएगा। इन सबके बावजूद भारत को मालदीव में चीन के हस्तक्षेप को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।