Maharashtra: विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज की उद्धव गुट की दलीलें, कहा- नहीं है शिंदे को हटाने का अधिकार

Maharashtra News:  शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि दोनों धड़ों (शिवसेना के दो गुटों) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है। नेतृत्व संरचना पर दोनों पार्टियों के विचार अलग-अलग हैं। एकमात्र पहलू बहुमत का है।

मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा। उन्होंने कहा कि 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 1200 पन्नों के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि इस मामले में दाखिल याचिकाओं को छह समूहों में रखा गया।

चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी असली शिवसेना शिंदे गुट

उन्होंने आगे कहा कि मैनें चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखा है। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी असली शिवसेना शिंदे गुट ही है। उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने भी शिंदे गुट को ही असली शिवसेना कहा है।

16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाते हुए विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान की सर्वोपरि है। हम उनका 2018 का संशोधित संविधान स्वीकार नहीं कर सकते। यह संसोधन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है।

इस दौरान उन्होंने शिवसेना के संगठन में चुनाव का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि साल 2018 में संगठन में चुनाव नहीं है। हमें 2018 के संगठन नेतृत्व को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि मेरे पास सीमित मुद्दा है और वह यह है कि असली शिवसेना कौन है। दोनों ही गुट अपने असली होने का दावा कर रहे हैं।

शिवसेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा गया

नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। रिकॉर्ड के अनुसार,  मैंने वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है। उद्धव गुट को शिंदे को हटाने का अधिकार नहीं था।

राहुल नार्वेकर ने कहा कि मैं स्पीकर के रूप में 10वीं धारा के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर रहा हूं। अनुसूची का क्षेत्राधिकार सीमित है और यह वेबसाइट पर उपलब्ध ईसीआई के रिकॉर्ड से आगे नहीं जा सकता है और इसलिए मैंने प्रासंगिक नेतृत्व संरचना का निर्धारण करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है।

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