लखनऊ नगर निगम : अफसर खुद ही कर रहे नगर निगम को कंगाल, ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा
Sandesh Wahak Digital Desk : लखनऊ नगर निगम की खराब आर्थिक स्थिति का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि खुद वहां के अफसर हैं। आलम यह है कि अफसर अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल कर नगर निगम का आर्थिक शोषण कर रहे हैं।
ऑडिट रिपोर्ट में 42 लाख रुपए का भत्ता लेने का मामला उजागर
ऑडिट रिपोर्ट में 42 लाख रुपए का भत्ता लेने का मामला उजागर हुआ है। विधानसभा की समिति ने इसकी जांच शुरू कर दी है। नगर निगम से जवाब मांगा जा रहा है। लेकिन अफसर इसका जबाव नहीं दे पा रहे हैं। क्योंकि इसके लिए शासन से कोई आदेश ही नहीं जारी हुआ है।
नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों ने लाभ के लिए खुद भत्ता बढ़ा लिया। शासन से नगर निगम के नाम पर कोई भत्ता निर्धारित नहीं था। इसके बढ़ने से अधिकारियों, कर्मचारियों का वेतन बढ़ गया, जिससे उन्हें फायदा होने लगा। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग की जांच में खुलासा हुआ। मामला विधानसभा की समिति के पास पहुंच गया है।
विधानसभा की समिति ने शुरू की मामले की जांच
पूर्व में भी नगर निगम के अधिकारियों ने ऐसे कारनामे किए थे। उसमें भी उनकी गर्दन फंसी है। अब ताजा मामला फिर सामने आया है। हालांकि यह प्रकरण 2012 का है। नगर निगम के मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी नंदराम कुरील ने इस संबंध में 27 दिसंबर को निगम के सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखा है। उनसे इस भत्ते का हिसाब मांगा है।
उन्होंने लिखा है कि विधानसभा की समिति इसकी रिपोर्ट मांग रही है। किसके आदेश पर भत्ता लिया गया, इसकी पूरी आख्या मांगी है।
इन मामलों में मांगी गई रिपोर्ट
1- निजी सफाई व्यवस्था में अनुबंध के विपरीत कटौती बिना ही ठेकेदारों को 53.37 लाख का भुगतान कर क्षति पहुंचायी
2- एल्डिको ग्रीन के पट्टाधारकों से लीजरेंट वसूल न किए जाने से नगर निगम को 11.35 लाख रुपए की क्षति हुई है।
3- हजरतगंज गांधी आश्रम तक सुन्दरीकरण में निर्माण वाले ठेकेदारों से पार्किंग शुल्क वसूली न करने से 3.20 लाख क्षति
4- वित्तीय अनुशासन और नियंत्रण न किए जाने से 48.38 करोड़ का व्यय अधिक हुआ