संपादक की कलम से: तार-तार संसदीय मर्यादा
Sandesh Wahak Digital Desk : विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर संसदीय मर्यादा को तार-तार कर दिया। उन्होंने न केवल राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतारी बल्कि खुलेआम उनका परिहास भी किया।
हैरानी की बात यह है कि खुद कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसका वीडियो बनाते दिखे। ऐसी घटना देश के लोकतांत्रिक इतिहास में शायद इसके पहले कभी नहीं घटी। इसकी न केवल देशभर में निंदा हो रही है बल्कि पीएम और राष्ट्रपति भी विपक्षी दलों के सांसदों के इस कृत्य पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
सवाल यह है कि :
- क्या यह तीन राज्यों में भाजपा से शिकस्त पाने के कारण विपक्षी गठबंधन के सहयोगी दल और कांग्रेस की हताशा का परिणाम है?
- क्या राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति के प्रति अपमानजनक व्यवहार संसदीय मर्यादाओं के विपरीत नहीं है?
- क्या यह व्यवहार आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन को बड़ा झटका दे सकता है?
- क्या जनप्रतिनिधियों के ऐसे ओछे व्यवहार को भारत की जनता स्वीकार कर पाएगी?
- क्या संसद में ऐसा आचरण कर दुनिया भर में देश की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है?
संसद में कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक चलती रहती है। एक-दूसरे पर शालीन भाषा में व्यंग्य किए जाते हैं लेकिन इस वार और पलटवार में आसन पर आसीन लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को कभी निशाना नहीं बनाया जाता है। यही संसदीय मर्यादा भी कहती है लेकिन इस बार विपक्षी सांसदों ने सारी मर्यादाओं को ताक पर रख दिया और संसद भवन में राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतार कर उनका उपहास उड़ाया।
सत्ता और विपक्ष दोनों ही इस कार्यप्रणाली को स्वीकार करते
ये सभी सांसद हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित किए गए अन्य सांसदों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। दरअसल, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति भले ही सत्ताधारी दल से जुड़े हों लेकिन उन्हें निष्पक्ष और किसी दल का नहीं माना जाता है। उन पर संसद चलाने की जिम्मेदारी होती है और वे नियमानुसार और अपने विवेक से निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं। सत्ता और विपक्ष दोनों ही इस कार्यप्रणाली को स्वीकार करते हैं।
ऐसे में इनके खिलाफ किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की जाती है लेकिन अब ऐसा किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह वे लोग कर रहे हैं जो देश में लोकतंत्र पर खतरा का राग हमेशा अलापते रहते हैं। विपक्ष ने ऐसा कर लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा को एक बड़ा मुद्दा ही नहीं दिया बल्कि देश के जाट समुदाय को भी आक्रोशित कर दिया है। जाहिर है इसका असर आम चुनावों में दिखेगा। विपक्ष को यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष पर भी संसद के सुचारू संचालन की जिम्मेदारी है और असंसदीय आचरण का संदेश जनता में सही नहीं जाता है।