अननेचुरल सेक्स और एडल्ट्री अब अपराध नहीं, सरकार ने पेश की नई भारतीय न्याय संहिता

Sandesh Wahak Digital Desk : संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन (12 दिसंबर) गृह मंत्री अमित शाह ने मानूसन सत्र में पेश किए तीनों क्रिमिनल बिल वापस ले लिए, वहीं इनकी जगह कुछ सुधारों के साथ तीनों नए विधेयक फिर लोकसभा में पेश किए। बता दें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को पहली बार 11 अगस्त को संसद में पेश किया गया था। संसदीय पैनल ने तीनों नए बिल में अननेचुरल सेक्स (धारा 377) और एडल्ट्री (धारा 497) को अपराध की कैटेगरी में रखने का सुझाव दिया था लेकिन सरकार ने इस सुझाव को नहीं माना।

वहीं अगर कोई शादीशुदा महिला किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाती है। ऐसी स्थिति में एडल्ट्री कानून के तहत पति उस शख्स के खिलाफ केस कर सकता था। ऐसे ही अगर शादीशुदा पुरुष अन्य महिला से संबंध बनाता है तो पत्नी उस पर केस कर सकती थी। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के तहत क्राइम था, जिसमें आरोपी को पांच साल की सजा और जुर्माना लगाने का प्रावधान था।

ऐसे मामलों में महिला के खिलाफ न तो केस दर्ज होता था और न ही उसे सजा देने का प्रावधान था। सन 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री कानून को रद्द कर दिया। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस कानून को असंवैधानिक बताया था। जहां उन्होंने कहा कि एडल्ट्री को क्राइम नहीं माना जा सकता, जोसेफ शाइनी की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया था।

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