Lucknow: सफाई के बहाने लखनऊ की मेयर के आदेश पर कठौता झील में अवैध खनन

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : अवैध खनन हुआ तो अफसरों की खैर नहीं, ये सख्त अल्फाज प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हैं। उसके बावजूद उन्ही की नाक के नीचे लखनऊ में सुनियोजित तरीके से अवैध खनन की कलंक कथा लिखी जा रही है।

पूरा खेल साफ सफाई के नाम पर तृतीय जलकल स्थित कठौता झील में अंजाम दिया जा रहा है। उससे भी ज्यादा हैरतअंगेज तथ्य ये है कि अवैध खनन लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल के आदेश पर हो रहा है। इस दौरान भाजपा के स्थानीय पार्षद शैलेन्द्र वर्मा भी अक्सर यहां आकर काम का निरीक्षण करते हैं।

झील में जमीं सिल्ट रूपी मिटटी से लाखों की कमाई करने का खेल

कठौता झील की सफाई के लिए पूर्व में जलकल विभाग में करोड़ों का टेंडर किया जाता रहा है। कुछ माह पहले लखनऊ कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब ने कठौता झील का दौरा किया था। झील में काफी गंदगी देखकर उन्होंने इसकी सफाई का टेंडर कराने के आदेश भी दिए। इसके बाद प्रमुख सचिव नगर विकास ने कठौता और भरवारा की सफाई का जिम्मा जल निगम को सौंपने का आदेश दिया।

बिना टेंडर ठेकेदारों से मिलीभगत कर हो रहा काम

कठौता झील (तृतीय जलकल) में बिना टेंडर सफाई के बहाने अवैध खनन कराने के खेल के खुलासे के बाद जलकल के इंजीनियरों ने भी मेयर का नाम आने के बाद अपनी गर्दन बचाने की कहानी भी तैयार करना शुरू कर दी। इसके लिए अचानक से एक एग्रीमेंट भी अफसरों ने तैयार करा डाला। जिससे उक्त फर्जीवाड़े का नियमितीकरण किया जा सके। इससे पहले मेयर से लेकर अधिशासी अभियंता और जेई तक ने किसी भी एग्रीमेंट का जिक्र तक नहीं किया था।

मेयर के आदेश पर कराया जा रहा खनन का काम

शनिवार को ‘संदेश वाहक’ की टीम कठौता झील पहुंची तो अवैध खनन जारी था। मौके पर फरहान नाम का शख्स बैठा था। उसने बताया कोई शुक्ला इस काम को करा रहे हैं। कोई टेंडर नहीं हुआ है। वहीं कठौता झील के प्रभारी इंचार्ज इंद्रजीत ने भी बताया कि उक्त काम मेयर के आदेश पर कराया जा रहा है। उसके बाद देर शाम जेई विवेकानंद द्विवेदी और प्रभारी अधिशासी अभियंता अनिरुद्ध भारती कठौता झील पहुंचे।

बड़े अफसरों के मामला संज्ञान में आने के बाद अवैध खनन के काम को बंद कराने के बाद इस प्रकरण को दूसरा मोड़ देने की कहानी रची गयी। देर शाम ‘संदेश वाहक’ से जोन चार के प्रभारी अधिशासी अभियंता अनिरुद्ध भारती ने कहा कि ‘मेयर साहिबा ने बुलाया है। मैं वहीं जा रहा हूं’। हालांकि मेयर सुषमा खर्कवाल ने अधिशासी अभियंता को बुलाये जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने इतना जरूर कहा कि शायद स्टाफ ने बुलाया होगा। वहीं पूर्व जीएम राम कैलाश से जब पूछा गया कि क्या जलनिगम से कठौता झील की सफाई कराने की बात मंडलायुक्त ने की थी?

पूर्व जीएम राम कैलाश ने नहीं किया किसी भी प्रकार के एग्रीमेंट का कोई जिक्र

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि शासन में इस संबंध में प्रमुख सचिव नगर विकास ने बैठक करके जल निगम से सफाई कराने को कहा था। निगम ने 12 करोड़ से ज्यादा का इस्टीमेट तब बनाया था। जलकल ने कठौता झील के एक हिस्से के लिए पांच करोड़ का इस्टीमेट बनाया था। 15वें वित्त आयोग से बजट देने की बात हुई थी। लेकिन नहीं देने पर काम नहीं हो सका। इस दौरान पूर्व जलकल जीएम राम कैलाश ने किसी भी प्रकार के एग्रीमेंट का कोई जिक्र नहीं किया।

अवैध खनन के जरिए लाखों की कमाई करने का खेल

हालांकि नगर आयुक्त द्वारा ऐग्रीमेंट का जिक्र करने पर पूर्व जीएम जलकल राम कैलाश को कई बार फोन किया गया तो उन्होंने काट दिया। मतलब दाल में कुछ काला है।  कठौता झील से जोन चार के इंदिरा नगर, गोमती नगर, चिनहट समेत आसपास के क्षेत्र की करीब 10 लाख की आबादी को पानी आपूर्ति होती है। कठौता में पानी शारदा नहर (इंदिरा नहर) से आता है। यह पानी कठौता और भरवारा झील में भरता है। लेकिन किसी को भी इन लाखों लोगों की सुरक्षा का तनिक भी ख्याल नहीं था।

 

जिसके लिए पहले एक ठेकेदार ने सफाई के काम को मुफ्त में कराने के लिए विभाग में पत्र दिया। मेयर सुषमा खर्कवाल के मौखिक आदेश पर जलकल इंजीनियरों ने कठौता झील में जमीं सिल्ट निकालने का ठेका बिना किसी टेंडर के उक्त ठेकेदार को सौंप दिया। शीर्ष स्तर से मौन समर्थन के बाद रात के अंधेरे में दीपावली के बाद से जारी इस खेल में शामिल ठेकेदारों की हिम्मत इतनी बढ़ गयी कि सुबह के उजाले में भी पोकलैंड से काम कराना शुरू कर दिया गया।

अभी तक एक सैकड़ा से ज्यादा सिल्ट लदे डंपरों के सहारे लाखों की कमाई हो चुकी है। इस अवैध कमाई का हिस्सा नीचे से ऊपर तक बांटने में ठेकेदार ने वाकई पूरी ईमानदारी बरती होगी, तभी पूरे जलकल विभाग ने बिना टेंडर हो रहे इस काम को रोकने के बजाय अपनी आंखें मूंदना ज्यादा मुनासिब समझा।

सुषमा खर्कवाल, मेयर

मैंने सफाई का कोई आदेश नहीं दिया : सुषमा खर्कवाल 

मेयर सुषमा खर्कवाल ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि चर्चा हुई थी कि पूर्व में इस काम के लिए जलकल से नौ करोड़ का टेंडर हुआ था। किसी ठेकेदार शुक्ला ने पत्र देकर कहा कि वो इस काम को मुफ्त में कर देगा। मैंने कठौता झील की सफाई का कोई आदेश नहीं दिया है। मैंने तो पूर्व में ऐशबाग में निकली 12 करोड़ की मिटटी-बालू का हिसाब पत्र लिखकर जलकल विभाग से मांगा था। तभी मेरा नाम लिया जा रहा है।

मेयर के मौखिक आदेश से हो रहा काम : अधिशासी अभियंता

जलकल विभाग के जोन चार के प्रभारी अधिशासी अभियंता अनिरुद्ध भारती ने ‘संदेश वाहक’ से बताया कि कठौता झील की सफाई का टेंडर नहीं हुआ है। काम मेयर के मौखिक आदेश से हो रहा है। जेई विवेकानंद द्विवेदी ने भी टेंडर न होने और मेयर के आदेश पर काम होने की हामी भरी। जिम्मेदार इंजीनियरों ने इस काम के लिए किसी भी एग्रीमेंट के होने का कोई जिक्र तक नहीं किया।

पैसों के खातिर लाखों लोगों की सुरक्षा से बड़ा खिलवाड़

कठौता और भरवारा झील से गोमतीनगर और इंदिरानगर तक लाखों घरों में पानी की आपूर्ति होती है। अगर गलत मंशा से झील की सुरक्षा संग खिलवाड़ किया गया तो इस अवैध काम से उन लाखों लोगों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। जिनमें बड़े नेताओं से लेकर तमाम वरिष्ठ अफसर तक शामिल हैं।

एग्रीमेंट की जानकारी मिली, काम रोका गया, कुछ भी गलत मिलने पर होगी कार्रवाई : नगर आयुक्त

नगर आयुक्त डॉ. इंद्रजीत सिंह ने ‘संदेश वाहक’ को पहले बताया कि मुझे जानकारी नहीं है, मैं जलकल विभाग से पता करता हूं। उसके कुछ देर के बाद नगर आयुक्त का फोन आया कि कोई ऐग्रीमेंट इस काम के लिए पुराने जीएम द्वारा किया गया था।  काम को रुकवा दिया गया है। कुछ भी गलत मिलेगा तो कार्रवाई की जायेगी। इसके बाद पूर्व जीएम जलकल राम कैलाश से एग्रीमेंट के बारे में पूछने के लिए फोन कई बार किया गया, लेकिन उन्होंने उठाया नहीं। मतलब दाल में कुछ काला है।

मुझे इस प्रकरण की कोई जानकारी नहीं: जीएम जलकल

जलकल विभाग के जीएम मनोज आर्या ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि मैं अभी नया नया आया हूं, मुझे इस प्रकरण की कोई जानकारी नहीं है। आप प्रभारी जोनल अधिकारी से पूछ लीजिये।

स्थानीय पार्षद शैलेन्द्र वर्मा ने कहा- मेरा कोई रोल नहीं

चिनहट द्वितीय से भाजपा पार्षद शैलेन्द्र वर्मा ने भी इस प्रकरण में किसी भी जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरा कोई रोल नहीं है। मैं वहां सिर्फ दो बार वो काम देखने गया था। क्षेत्र में अक्सर जाता रहता हूं। पहले विभाग टेंडर करा रहा था। ज्यादा पैसे खर्च हो रहे थे।

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