अब दालों की महंगाई होगी कम, सरकार ने बनाया यह खास प्लान
Inflation of Pulses : महंगाई के बादल फिर से मंडराने लगे हैं, जहां खासकर दालों पर महंगाई लगातार बढ़ रही है। वहीं इसे कम करने को सरकार ने कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं, घरेलू बाजार में अरहर और उड़द की दाल की कीमत को करने के लिए सरकार ने इंपोर्ट का सहारा लेने का मन बना लिया है।
केंद्र सरकार जनवरी में 400,000 टन तुअर दाल (अरहर) और फरवरी में 1 मिलियन टन उड़द दाल (काला चना) का म्यांमार से इंपोर्ट करने जा रही है। भारत ऐसे समय में तुअर का इंपोर्ट करने का ऐलान कर रहा है जब कटाई अभी भी चल रही है, वास्तव में सरकार को रकबे में गिरावट के कारण पिछले साल की तुलना में कम उत्पादन की उम्मीद है।
इस साल जनवरी में सरकार ने जमाखोरी को रोकने और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए तुअर और उड़द पर स्टॉक लिमिट भी लगाई थी, यह स्टॉक लिमिट 30 अक्टूबर को समाप्त होना था, सरकार ने इसे दिसंबर के अंत तक के लिए बढ़ा दिया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को उड़द की अखिल भारतीय खुदरा कीमत पिछले साल के 9,627.48 रुपए के मुकाबले 11,198.09 रुपए प्रति क्विंटल थी, वहीं अक्टूबर में दालों की रिटेल महंगाई बढ़कर 18.79 फीसदी हो गई, जिसका मुख्य कारण तुअर (40.94 फीसदी), चना (11.16 फीसदी) और मूंग (12.75 फीसदी) की कीमतों में तेज बढ़ोतरी है।
इसके साथ ही तुअर में महंगाई की दर सितंबर में 37.3 फीसदी से अधिक थी, यह हालात तब है जब मार्च के महीने में सरकार ने तुअर पर इंपोर्ट शुल्क को खत्म कर अफ्रीका और म्यांमार से इंपोर्ट बढ़ाने के प्रयास किए थे। विशेषज्ञों का संकेत है कि नवंबर में तुअर की कीमतें अभी भी लगभग 40 फीसदी अधिक हैं, दालों की महंगाई और बढ़ सकती है।
रिटेल बास्केट में तुअर की हिस्सेदारी 0.8 फीसदी है, जहां थोक स्तर पर अरहर दाल 87-90 रुपये प्रति किलो पर मंडरा रही है। इंपोर्ट के बाद यह उम्मीद है कि कीमतों में अचानक कोई उछाल नहीं आएगा, तूर की खेप जनवरी में म्यांमार से भारत आएगी।
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