Lok Sabha Elections 2024: बीजेपी में बगावत के सुर बुलंद होने का अंदेशा
विपक्ष के इंडिया गठबंधन में भी अपनी संभावनाएं तलाश रहे वर्तमान सांसद
UP Politics: मिशन 2024 को देखते हुए सबसे ज्यादा सर फुटौव्वल भाजपा में नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव का टिकट पक्का करने की रणनीति के तहत नेताओं ने जहां लखनऊ से दिल्ली तक पूरा दम खम लगाना अभी से शुरू कर दिया है। वहीं भाजपा में बगावत के सुर सबसे ज्यादा बुलंद होने का अंदेशा है।
सिर्फ यही नहीं बगावत को देखते हुए कई नेताओं ने विपक्ष के इण्डिया गठबंधन में भी अपनी संभावनाएं तलाशना शुरू कर दिया है। कमोबेश सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को धार दे रहे हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद विपक्ष के इण्डिया गठबंधन का चुनावी प्रचार भी रफ्तार पकड़ेगा। समझौते के आधार पर अपने चुनावी घोषड़ा पत्र के बारे में भी गठबंधन योजना बना रहा है। फिलहाल इसमें कितनी काबयाबी लौटने समय के बाद मिलेगी। ये भी देखना लाजिमी है।
हालांकि फिलहाल दलों की मुख्य प्राथमिकता पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं। इसके बाद ही लोकसभा चुनाव का दंगल परवान चढ़ेगा। लेकिन जिस अंदाज में भाजपा के अंदर एक तिहाई वर्तमान सांसदों के टिकट पर ग्रहण के साथ आंतरिक सर्वे रिपोर्ट को तवज्जो दी जा रही है। उसको देखते हुए सांसदों ने अभी से अपनी सीटों पर विकल्प को लेकर भी तैयारियों को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है।
भाजपा प्रत्याशी के चयन के लिए आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट बेहद अहम
राजनीतिक नैया पार लगाने के लिए तमाम नेताओं ने भी अभी से हाथ- पैर मारने शुरू कर दिए हैं। पार्टियां भी हर एक सीट पर जातीय और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार के चयन पर मंथन कर रही है। भाजपा प्रत्याशी के चयन के लिए आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट बेहद अहम है। उधर टिकट न मिलने की स्थिति को देखते हुए नेता, सांसद अन्य राजनीतिक दलों के संपर्क में भी अभी से बताए जाने लगे हैं। इस भागदौड़ में सत्ताधारी पार्टी के सांसद और नेता भी पीछे नहीं है। भाजपा के नेता-सांसदों में बगावत की एक मुख्य वजह विपक्षी दलों का एकजुट होने से इण्डिया गठबंधन की ताकत भी मानी जा रही है।
विपक्षी दलों के साथ आने से कहीं न कहीं भाजपा के लिए चुनौतियों में खासा इजाफा हो रहा है। भाजपा इस चुनाव को पहले से ज्यादा अब गंभीरता से ले रही है। भाजपा प्लान ए के साथ साथ अन्य योजनाओं पर भी काम करने के साथ ही कदम फूंक- फूंक कर रख रही है। इसी क्रम में भाजपा ने यूपी में क्लीन स्वीप करने के लिए सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। एक- एक लोकसभा सीट पर जातीय और राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार के चयन पर मंथन चल रहा है।
नए संभावित चेहरों पर भी मंथन,उम्र ज्यादा होना भी बड़ा कारण
भाजपा के आंतरिक सर्वे में मौजूदा सांसदों के अलावा कई नए चेहरों के बारे में गंभीरता से मंथन हो रहा है। लोगों और कार्यकर्ताओं के मन को टटोला जा रहा है। सर्वे कई तरह के मानकों के आधार पर हो रहा है। इसी के चलते भाजपा के सर्वे में पश्चिमी यूपी, गोरखपुर, काशी और अवध के कुछ सांसदों की रिपोर्ट ठीक नहीं आने की भी बात कही जा रही है।
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के उन मौजूदा सांसदों की मुश्किलें बढऩा तय माना जा रहा है, जिनकी सर्वे में रिपोर्ट अच्छी नहीं आई है। भाजपा अपने कुछ मौजूदा सांसदों का टिकट उम्र ज्यादा होने की वजह से भी काट सकती है। ऐसे में चुनाव लडऩे की इच्छा रखने वाले नेता-सांसद भाजपा का टिकट न मिलने की स्थिति में सपा, कांग्रेस और अन्य दलों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ सकते हैं।