संपादक की कलम से : डीपफेक पर सख्ती के निहितार्थ
Sandesh Wahak Digital Desk : अभिनेत्री रश्मिका मंदाना की सोशल मीडिया मंच पर जारी डीपफेक वीडियो के बाद केंद्र सरकार ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने न केवल सोशल मीडिया कंपनियों को चेताया कि यदि कंपनियां डीपफेक वीडियो को हटाने के लिए लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाती है तो उन्हें आईटी अधिनियम के तहत वर्तमान में जो सुरक्षित हार्बर प्रतिरक्षा मिली है, वह नहीं दी जाएगी।
साथ ही स्पष्ट किया कि सरकार दस दिन के भीतर इसको रोकने के लिए नए नियम बनाने जा रही है। इसके तहत निर्माता व संबंधित मंचों पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया जा सकता है। यही नहीं सरकार ने डीपफेक जैसे कंटेंट की जांच के लिए एक अधिकारी को भी नियुक्त कर दिया है।
सवाल यह उठता है कि
- कड़े आईटी कानून के बावजूद सोशल मीडिया मंच डीपफेक जैसे कंटेंट को रोकने का कोई उपाय क्यों नहीं करते हैं?
- क्या ऐसे कंटेंट को जानबूझकर वायरल किया जाता है?
- क्या नए नियम ऐसे कंटेंट को रोकने में सफल होंगे?
- डीपफेक के अलावा बहुत सारे ऐसे कंटेंट सोशल मीडिया मंचों पर लगातार जारी होने के बाद भी सरकार ने अभी तक इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?
- क्या केवल चेतावनी देने भर से भारत से अरबों रुपये कमा रहीं इन कंपनियों पर कोई असर पड़ेगा?
सोशल मीडिया मंच आज इंटरनेट के जरिए लोगों के बेहद निजी जीवन तक घुसपैठ कर चुका है। वहीं सूचना प्रौद्योगिकी के तेज विकास ने इसके दुरुपयोग को भी बढ़ा दिया है। डीपफेक ऐसा ही तकनीकी दुरुपयोग का उदाहरण है। डीपफेक में आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के जरिए किसी तस्वीर या वीडियो में मौजूद व्यक्ति की जगह किसी दूसरे को दिखा दिया जाता है।
असली-नकली में फर्क करना मुश्किल
इसमें इतनी समानता होती है कि असली-नकली में फर्क करना मुश्किल होता है। ऐसा ही अभिनेत्री रश्मिका के एक वीडियो के साथ किया गया लेकिन सिर्फ यही एक समस्या नहीं है। सोशल मीडिया मंचों पर फेक न्यूज की बाढ़ है। बाल यौन शोषण के तमाम वीडियो चलाए जा रहे हैं। हालांकि भारतीय आईटी कानून के मुताबिक ऐसे कंटेंट को रोकना इन कंपनियों का दायित्व है लेकिन ऐसा किया नहीं जा रहा है।
हालत यह है कि सरकार के कई बार चेताने के बाद भी ये कंपनियां इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाती हैं। इसके कारण तमाम फर्जी और अश्लील सामग्री प्रचारित-प्रसारित हो रही है। साफ है नए नियम बना देने के बाद भी कंपनियां इस पर ध्यान देगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
सच यह है कि यदि सरकार ऐसे कंटेंट पर लगाम लगाना चाहती है तो उसे आईटी कानून का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा और ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। इसके अलावा कंटेंट पर नजर रखने के लिए अलग से मानीटरिंग करनी होगी। अन्यथा नियम दर नियम बनते रहेंगे और कंपनियां इन कानूनों को ठेंगे पर रखेंगी।
Also Read : संपादक की कलम से : अग्निकांड और…