संपादक की कलम से : अग्निकांड और बहुमंजिला इमारतें
Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक इमारत में भीषण आग लगने से 40 लोगों का जीवन दांव पर लग गया। हालांकि किसी तरह सभी को बचा लिया गया लेकिन अग्निकांड ने एक बार फिर सार्वजनिक और व्यावसायिक बहुमंजिला इमारतों में आग से सुरक्षा के इंतजाम की पोल खोल दी। हैरानी की बात यह है कि अकेले राजधानी में ऐसी कई घटनाओं में कई लोगों की मौत होने के बावजूद न तो प्रदेश सरकार न ही फायर विभाग ने कोई सबक सीखा है।
सवाल यह है कि :
- ऐसी बहुमंजिला इमारतों में जानलेवा लापरवाही क्यों बरती जा रही है?
- इमारतों में अग्नि सुरक्षा के मानकों का कड़ाई से पालन क्यों नहीं कराया जा रहा है?
- गली-मुहल्लों में बहुमंजिला और व्यावसायिक इमारतों को बनाने को मंजूरी क्यों दी जा रही है?
- क्या लोगों की जान से खिलवाड़ करने की छूट किसी को दी जा सकती है?
- इन घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है?
- बिना फायर एनओसी के यहां सार्वजनिक गतिविधियों को संचालित करने की छूट कौन दे रहा है?
- क्या भ्रष्टाचार ने पूरी व्यवस्था को चौपट कर दिया है?
- क्या बिना जवाबदेही तय किए ऐसी दुर्घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है?
केवल लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में अधिकांश व्यावसायिक और सार्वजनिक बहुमंजिला इमारतों में अग्नि सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके कारण आग लगने में स्थितियां भयावह हो जाती है और इसकी चपेट में आकर कई लोगों की मौत तक हो चुकी है। इन इमारतों में सरकारी भवन और अस्पताल भी आते हैं। जहां तक लखनऊ का सवाल है यहां ऐसी लापरवाही बेहद चिंता का विषय है। कहने को फायर विभाग है लेकिन वह हादसों के बाद जागता है और कुछ दिन बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में चला जाता है। बहुमंजिला इमारतों में अग्नि सुरक्षा उपकरणों की नियमित रूप से जांच की व्यवस्था नहीं है।
अस्पतालों और इमारतों में एक्सपायर डेट के लगे सुरक्षा उपकरण
हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों और इमारतों में दिखावे के लिए अग्नि सुरक्षा उपकरण लगाए गए हैं। इसमें कई उपकरण एक्सपायर डेट हो चुके हैं। इसके अलावा आग लगने के समय इन उपकरणों का इस्तेमाल कैसे किया जाए इसकी जानकारी भी अधिकांश कर्मचारियों को नहीं है। यह स्थितियां तब हैं जब यहां के एक नामचीन अस्पताल में आग लग चुकी है और दो होटलों में आग लगने के कारण मौतें हो चुकी हैं। इसके अलावा भी यहां अग्निकांड होते रहते हैं।
बावजूद इसके स्थितियों में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। जब लखनऊ का यह हाल है तो अन्य जिलों की स्थितियों के बारे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि सरकार अग्निकांडों पर लगाम लगाना और धन-जन की हानि रोकना चाहती है तो उसे न केवल अग्नि सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराना होगा बल्कि फायर विभाग को भी जवाबदेह बनाना होगा। साथ ही मानकों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी करनी होगी।
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