यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष का सीएम योगी को पत्र, 8 वर्षों से एक भी मदरसे को नहीं मिली मान्यता

Sandesh Wahak Digital Desk : गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता नहीं दिए जाने से इन इदारों में पढ़ रहे करीब साढ़े सात लाख बच्चों का भविष्य अंधेरे में है। यह दर्द मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद का है। जिन्होंने अफसरों की कार्य प्रणाली से नाराज होकर आठ हजार से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता नहीं दिए जाने पर बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखा।

बोर्ड अध्यक्ष ने कहा है कि शासन से हरी झंडी नहीं की वजह से पिछले आठ वर्षों से मदरसा बोर्ड द्वारा एक भी मदरसे को मान्यता नहीं दी जा सकी है। लोग गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को अवैध भी कहने लगे हैं। मान्यता देने की कार्यवाही जल्द शुरू कराई जाए ताकि प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की भावना को बल मिल सके।

पसमांदा समाज के कल्याण पर पीएम मोदी का फोकस होने के बावजूद नहीं शुरू हुई मान्यता देने की प्रक्रिया

मदरसों में बच्चे मुस्लिम समाज के पिछड़े तबकों से आते हैं। पसमांदा समाज के कल्याण पर प्रधानमंत्री की खास निगाह है। सीएम को साथ में एक पत्र भी भेजा गया है। जिसके मुताबिक शिक्षा विभाग के अधिकारी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालन पर रोक लगाने और जुर्माने की कार्यवाही की धमकी दे रहे हैं।

मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद
इफ्तिखार अहमद जावेद, मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष 

दो माह बाद भी शासन स्तर से प्रक्रिया शुरू नहीं हुई: जावेद

मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि इसी साल 12 सितंबर को बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसमें बोर्ड की रजिस्ट्रार प्रियंका अवस्थी और निदेशक जे. रीभा से मदरसों की मान्यता शुरू कराने का अनुरोध किया था। इस पर दोनों ने शासन से मार्गदर्शन लेने की बात कही थी, दो महीने बीत गए और कोई भी प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो सकी।

सर्वे की रिपोर्ट आये एक साल हो गया, नहीं लिया निर्णय

मदरसों की शैक्षणिक स्थिति और उनमें मौजूद सुविधाओं का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछले साल एक सर्वे कराया था जिसमें पाया गया था कि राज्य में 8449 ऐसे मदरसे संचालित हो रहे हैं जिनके पास मदरसा शिक्षा बोर्ड की मान्यता नहीं है। इस साल 15 नवंबर को उस सर्वे की रिपोर्ट को आए एक साल भी पूरा हो गया है।

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