मिशन 2024 : राम फिर लगाएंगे बेड़ा पार, भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर हिंदुत्व

राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले अयोध्या में योगी कैबिनेट की बैठक ने दिये सियासी संकेत

Sandesh Wahak Digital Desk : अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिहाज से भाजपा के एजेंडे में  एक बार फिर सबसे ऊपर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद नजर आ रहा है। इसके बाद विकास का नंबर आएगा। जिस अंदाज में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी की पूरी कैबिनेट ने अयोध्या में बैठक करके नजीर पेश की है।

उसको देखते हुए जनवरी में प्रस्तावित राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद माहौल को हिंदू नवजागरण काल के रूप में स्थापित करने के वास्ते भाजपा ने पूरा खाका खींच लिया है। इसके तत्काल बाद लोकसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने की भी पूरी उम्मीद है। भाजपा के कर्णधारों का ये भी मानना है कि इस सियासी रणनीति से विपक्ष के जातीय जनगणना और पीडीए जैसे मुद्दों की सटीक काट भी मिलेगी।

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की बीजेपी ने की खास तैयारियां

राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी को आना है। इस आयोजन को पूरे देश में मनाने की तैयारी जिस अंदाज में भाजपा ने कर रखी है। उससे भाजपा के हिंदुत्व मुद्दे को धार मिलनी तय है। भाजपा का साफ तौर पर मानना है कि इस आयोजन से देश में वैसा ही माहौल बनेगा जैसा 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद बना था। माना जा रहा है कि भाजपा का चुनाव प्रचार भी इसी भव्य आयोजन से शुरू हो सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि को भाजपा ने जब हिंदू गौरव दिवस के रूप में मनाया, तभी हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने के संकेत मिल गये थे।

काशी में बाबा विश्वनाथ के विशाल कॉरिडोर और मथुरा में भी बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण कार्य के जरिये भी हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने की पूरी तैयारी है। मथुरा में जन्मभूमि और काशी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कोर्ट में कार्यवाही आगे बढ़ी है, भाजपा के लिए इसे हिंदुत्व के लिहाज से चुनाव में इस्तेमाल करने का पूरा मौका है। जातीय-सामाजिक समीकरण साधकर भाजपा अगर लगातार दो लोकसभा चुनाव में 60 से अधिक सीटें यूपी में जीतने में सफल रही है तो इसके पीछे राम मंदिर और हिंदुत्व का बेहद अहम रोल ही कहा जायेगा।

राष्ट्रवाद व विकास की नींव पर सियासी इमारत करेंगे बुलंद

भाजपा ने राष्ट्रवाद को और धार देने के लिए हर घर तिरंगा, तिरंगा रैली, मेरी माटी मेरा देश, अमृत कलश जैसे अभियान शुरू किए हैं। इंडिया को भारत कहना और आजादी का अमृतकाल भी इसी सूची में गिना जायेगा। 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस मनाने की परंपरा भी मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई है। वहीं विकास की तमाम योजनाएं भी चुनावी हथियार बनेंगी।

विपक्ष के पास मुद्दों की काट नहीं, दरकने लगा गठबंधन

भाजपा के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद जैसे एजेंडे की काट विपक्ष के पास फिलहाल नहीं नजर आ रही है। विपक्ष ने जिस इण्डिया गठबंधन की नीव रखी, वो सबसे पहले उत्तरप्रदेश में दरकता दिखाई दे रहा है। हालांकि विपक्ष इन मुद्दों को सीधे टारगेट पर लेने का जोखिम उठाने की जगह मंहगाई व साम्प्रदायिकता, पीडीए व जातीय जनगणना जैसे तमाम अन्य मुद्दों को आगे रखेगा।

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