मंडी परिषद : राम विलास यादव के भर्ती घोटाले पर आज भी पर्दा
Sandesh Wahak Digital Desk : अपनी आय से 550 गुना संपत्ति कमाकर विजिलेंस और ईडी की गिरफ्त में आने वाले पूर्व आईएएस रामविलास यादव ने मंडी परिषद में भी बड़ा कारनामा कर दिखाया था। राज्य कृषि उप्पादन मंडी परिषद में डेलीवेज (अनियमित रूप से) पर कार्य करने वाले नौ कार्मिकों से मोटी रकम लेकर उन्होंने ग्रेड-टू का अफसर (सहायक अभियंता) बना दिया।
जबकि ग्रेड-टू अफसर की नियुक्ति करने का अधिकार सिर्फ लोक सेवा आयोग को है। शासनादेशों को दरकिनार कर रामविलास ने न सिर्फ इनकी भर्ती करा दी, बल्कि इन कार्मिकों को मलाईदार पदों पर भी विराजमान करा दिया।
कईयों पर बड़े पैमाने पर घोटाले के आरोप
खास बात यह है कि इसमें से सात कार्मिक उपनिदेशक (निर्माण) के पद पर विभिन्न जिलों में कार्यरत हैं। कईयों पर बड़े पैमाने पर घोटाले के आरोप भी लग चुके हैं। मंडी मुख्यालय इन सभी कार्मियों की डीपीसी कराकर इन्हें संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नत कराने की जुगत में था, लेकिन तब तक यह मामला अपर मुख्य सचिव कृषि के पास पहुंच गया और डीपीसी निरस्त कर दी गई।
इन कार्मिकों की नियुक्ति 2016 में की गई थी। आश्चर्य की बात यह है कि 2015 में ही तत्कालीन प्रमुख सचिव राहुल भटनागर ने अनियमित भर्ती रोके जाने के लिए सभी विभागों को पत्र लिखा था। शासनादेश जारी होने के एक वर्ष बाद उसे दरकिनार कर नौ कार्मिकों की भर्ती की गई। इन कार्मिकों की भर्ती के विरोध में कई बार आवाजें उठीं, लेकिन किसी ने संज्ञान नहीं लिया।
रामविलास यादव ने शासनादेशों को किया दरकिनार
प्रयागराज निर्माण खंड में ढाई करोड़ के फर्जी भुगतान का खुलासा होने के बाद यह प्रकरण फिर चर्चा में आया। क्योंकि प्रयागराज के जिस उपनिदेशक (निर्माण) रविंद्र यादव द्वारा यह फर्जी भुगतान किया गया था, उनकी नियुक्ति भी रामविलास यादव ने शासनादेशों को दरकिनार कर की थी। उन्हें भी 2016 में ही नियमित किया गया था।
इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों ने इस अनियमित भर्ती के खिलाफ शासन को शिकायतें की, लेकिन प्रकरण पर साठ-गांठ कर मामले को दबा दिया गया। शिकायतों का फर्जी निस्तारण होने के कारण कुछ विधायकों ने इस विषय को विधानसभा में उठाने का भी निर्णय लिया है।
यही नहीं 20 अक्टूबर को इस नियुक्ति की वृहद पैमाने पर जांच कराने को लेकर लोकायुक्त में भी परिवाद दाखिल किया गया है। जांच होने के दौरान पूर्व आईएएस राम विलास यादव द्वारा किए गए और कृत्य के बारे में खुलासा हो सकता है। हालांकि पूर्व में हुए कुछ खुलासे के बाद राम विलास को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस समय वह जेल में बंद हैं।
इन अफसरों के खिलाफ दाखिल हुआ परिवाद
लोकायुक्त कार्यालय में हाईकोर्ट के अधिवक्ता एके शुक्ला ने जिन अफसरों के खिलाफ अनियमित भर्ती की जांच के लिए परिवाद दाखिल किया है, उनमें उपनिदेशक (निर्माण) राजीव कुमार, उपनिदेशक पंकज कुमार, उपनिदेशक पवन कुमार सिंह, उपनिदेशक विजय पाल सह, उपनिदेशक खालिद हसन, उपनिदेशक रविंद्र यादव एवं उपनिदेशक श्याम सिंह का नाम शामिल हैं।
उक्त अफसरों की भर्ती की जांच के लिए विधायकों ने भी शासन को पत्र लिखा था, लेकिन अभी तक मंडी मुख्यालय की ओर से जांच शुरू नहीं की गई है। अधिवक्ता एके शुक्ला ने बताया कि जल्द ही लोकायुक्त कार्यालय से नोटिस सर्व होकर जांच शुरू हो जाएगी।
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