मिशन 2024 : साथ बैठने के बावजूद नहीं मिले दिल, दरकने लगी विपक्षी एकता

इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की आपसी कलह सतह पर आने से भाजपा को उखाड़ने के दावे फेल

Sandesh Wahak Digital Desk : भले भाजपा को केंद्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने को इंडिया नाम की छतरी के नीचे विपक्षी दल आ गए हैं। लेकिन मिशन 2024 से पहले ही विपक्षी गठबंधन के घटक दलों में दरारें साफ दिखने लगी हैं। फिलहाल इस गठबंधन का भविष्य खटाई में दिखने लगा है।

गठबंधन में शामिल घटक दलों के न मन मिल रहे हैं न विचार। ये एक-दूसरे पर हमलावर हैं। जिस तरह की जुबानी जंग इनमें चलने लगी है उसमें सीट शेयरिंग तो दूर, ये एक-दूसरे के साथ बैठ ही जाएं तो बड़ी बात है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी हो या आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस, आपसी रस्साकशी चरम पर है। कोई भी अपने हितों के साथ तनिक समझौता करने को तैयार नहीं है।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव सिर पर खड़े

इंडिया को खड़ा करने में झंडाबरदार बने नीतीश कुमार का भाजपा प्रेम भी ऐसे नाजुक समय पर हो रहा है जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव सिर पर खड़े हैं। वहीं अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए माहौल बनने लगा है। कोई बड़ी बात नहीं कि लोकसभा चुनाव के पहले ही गठबंधन तितर-बितर हो जाए। बिखरे विपक्ष के साथ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को मात देना आसान नहीं होगा। पहले दिन से इस गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल थे।

अखिलेश वखिलेश को छोड़िए

क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस के समीकरण नहीं बैठ पा रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस को धोखेबाज बता चुके हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता और एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने सपा प्रमुख को तवज्जो न देते हुए कहा था कि अखिलेश वखिलेश को छोड़िए। अब राम गोपाल यादव ने कमलनाथ को छुटभैया नेता बता डाला है।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सभी लोकसभा सीटों पर तैयारी की बात कहती आई है। दिल्ली को लेकर भी वह यही बात कह चुकी है। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ भी कांग्रेस की केमिस्ट्री बिगड़ी हुई है। हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक की जीत ने कांग्रेस ने भरोसे को सातवें आसमान पर पहुंचाया हुआ है। आप भी अपनी जमीन को किसी तरह कमजोर नहीं होने देना चाहती है।

यूं ही नहीं सामने आया नीतीश का भाजपाई प्रेम

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश का भाजपा प्रेम दो दिन पहले एक बार फिर छलक पड़ा था। मोतिहारी में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि जितने लोग हमारे हैं सब साथी हैं, छोडि़ए ना भाई हम अलग हैं आप अलग हैं। इसका कोई मतलब है? जब तक जिंदा है, तब तक भाजपा नेताओं से दोस्ती बनी रहेगी। बाद में शनिवार को नीतीश ने भाजपा के करीब जाने की बातों को सिरे से नकार दिया। दलों के बीच दूरियों को देखकर ही नीतीश के बदले रुख पर सियासी कयास लगाये जा रहे हैं।

गठबंधन नहीं करना है तो स्पष्ट बताए कांग्रेस : अखिलेश

शनिवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस को बताना चाहिए कि जब गठबंधन नहीं करना था तो नेताओं को क्यो बुलाया था। साफ बताना चाहिए था कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है राज्यों के लिए नहीं। लेकिन हमसे एमपी की सीटों के बारे में पूरी जानकारी ली गई। अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस हमें स्पष्ट बताए कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन करना है या नहीं। कांग्रेस हमसे साजिश या षडयंत्र न करे। हालांकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मिले संदेश के बाद उनके तेवर नरम पड़े।

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