UP : एक साल बाद भी नहीं बनी फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट
यूपी में बढ़ते आर्थिक अपराधों पर शिकंजा कसने के वास्ते मुख्यमंत्री योगी ने अफसरों को दिए थे निर्देश
Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश में रोजाना आर्थिक अपराधों की संख्या में लगातार इजाफा दर्ज हो रहा है। फिलहाल प्रदेश में ऐसे मामलों की जांच के लिए आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन यानि ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साल पहले आर्थिक अपराधों की रोकथाम के लिए फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट(आर्थिक खुफिया इकाई) गठित करने के निर्देश अफसरों को दिए थे। इसके बावजूद अभी तक इतनी अहम इकाई का गठन यूपी में नहीं हो सका है।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी की मंशा थी कि आयकर विभाग की तर्ज पर आरोपियों की आर्थिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जाए। जिसके लिए भ्रष्टाचार निवारण संगठन में फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट की स्थापना की जाए। जिससे प्रदेश में साइबर आर्थिक अपराध के गैंग, नौकरी के नाम पर ठगी, फर्जी विज्ञापन या लिंक जैसी तमाम कारगुजारियां करके युवाओं के साथ धोखाधड़ी करने वालों पर शिकंजा कसा जा सके।
आर्थिक अपराध के बड़े मामलों से जुड़े आरोपितों का डाटाबेस भी बनाया जाए
साथ ही फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट के जरिये आर्थिक अपराध के बड़े मामलों से जुड़े आरोपितों का डाटाबेस भी बनाया जाए। जिससे आने वाले समय में बड़ी आर्थिक ठगी की घटनाओं को रोकने की दिशा में गंभीर पहल संभव हो सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फाइनेंशियल डाटा एनालिसिस के लिए इकाई और मुख्यालय स्तर पर टेक्निकल यूनिट के गठन का निर्देश भी दिया था। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना के निर्देश देने के साथ ही संगठन की सभी इकाइयों को थाने के रूप में अधिसूचित कराए जाने तथा कर्मियों को केंद्रीय जांच एजेंसियों की तरह विशेष प्रोत्साहन भत्ता दिए जाने का भी प्रस्ताव था।
लेकिन अभी तक यूपी में फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट का कहीं अता पता नहीं है। जबकि प्रदेश में अनगिनत युवाओं के साथ करोड़ों की ठगी के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस बारे में आधिकारिक पक्ष जानने के लिए भ्रष्टाचार निवारण संगठन के एडीजी राजा श्रीवास्तव, डीआईजी विनोद मिश्रा और एसपी दयाराम से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने कॉल नहीं रिसीव की।
ईओडब्ल्यू में वर्षों से दफन हैं घोटालों की जांचें
मौजूदा समय में ईओडब्ल्यू के पास अरबों के आर्थिक घोटालों से जुड़ी अनगिनत जांचें हैं। वर्षों से इन जांचों में फंसे अफसर और नेता सिर्फ मौज काट रहे हैं। अरबों का अनाज घोटाला समेत कई बड़े मामले सटीक उदाहरण हैं। तमाम जांचों को फाइलों में ही बंद करा दिया गया।
ईडी को नहीं भेजते ब्यौरा
आर्थिक अपराधों में फंसे आरोपियों की सम्पत्तियां जब्त करने के साथ ईडी को मनीलांड्रिंग की जांच भी शुरू करनी चाहिए। लेकिन ऐसे अपराधियों की सम्पत्तियां जब्त करने का अभियान ठन्डे बस्ते में है। पूर्व लखनऊ पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय के कार्यकाल में रियल एस्टेट के जरिये ठगी करने वाली कंपनियों का ब्योरा ईडी के साथ सांझा करके सम्पत्तियां जब्त करने की बात तो हुई, लेकिन इसके बाद मामला दफन हो गया। शाइन सिटी जैसे मामलों को छोडक़र बाकियों पर कार्रवाई कभी नहीं हुई।