लोक निर्माण विभाग: प्रमुख सचिव का आदेश भी ताक पर, कार्रवाई के नाम पर ठेंगा!
सोशल मीडिया में पीएम-सीएम पर अभद्र टिप्पणी करने का मामला, जांच में दोषी पीडब्ल्यूडी लिपिक पर 3 साल बाद भी कार्रवाई नहीं
Sandesh Wahak Digital Desk/Chetan Gupta : लोक निर्माण विभाग का एक तीन साल पुराना मामला अफसरों के गले की फांस बना हुआ है। निर्माण खंड-दो लखनऊ में वरिष्ठ सहायक के पद पर तैनात यूनियन लीडर मंसूर अली पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी के तीन साल पुराने मामले में दोषी हैं।
सोशल मीडिया में पीएम-सीएम पर अभद्र टिप्पणी करने का मामला
यूपी एसटीएफ व विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद तत्कालीन प्रमुख सचिव ने आरोपी कर्मचारी नेता के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे जो आज तक प्रभावी नहीं हो सके और दागी कर्मचारी अपनी कुर्सी पर जमा बैठा है। अफसरों के लचर रवैए का नतीजा यह है कि प्रमुख सचिव के आदेश को ताक पर रख दिया गया और कार्रवाई के नाम पर ठेंगा दिखा दिया।
अब एक बार फिर इस मामले में तूल पकड़ा है। हाथरस निवासी संजय सिंह ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता परिकल्प एवं नियोजन एके अग्रवाल के कार्यालय में शिकायती पत्र देकर दोषी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर दर्ज करा सेवा से बर्खास्त करने की मांग की है।
आपको बता दें कि लखनऊ के सरोजनी नगर निवासी राम प्रताप सिंह ने 14 अगस्त 2020 को शासन में एक पत्र भेज कर लखनऊ निर्माण खंड-2 में लिपिक संवर्ग में तैनात मंसूर अली की शिकायत की थी। मंसूर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने, धार्मिक उन्माद फैलाने, लव जिहाद के लिए उकसाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए थे।
जांच में दोषी पीडब्ल्यूडी लिपिक पर 3 साल बाद भी कार्रवाई नहीं
तत्कालीन प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 17 अगस्त, 2020 को प्रमुख अभियंता (विकास) एवं विभाग अध्यक्ष राजपाल सिंह को जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए। विभागाध्यक्ष ने मध्य क्षेत्र के तत्कालीन मुख्य अभियंता अंबिका सिंह को पत्र लिखा। उसी दिन उन्होंने अपने अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखकर जांच कर जल्द से जल्द देने के आख्या प्रस्तुत करने के आदेश दिए। उधर यूपी एसटीएफ ने भी जांच शुरू कर दी।
इस मामले में एसटीएफ के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक दीपक कुमार सिंह ने शिकायतकर्ता और आरोपी कर्मचारी नेता के बयान दर्ज किए। जांचकर्ता ने मंसूर को आपत्तिजनक पोस्ट के मामले में दोषी करार दिया। मंसूर ने यह कह कर बचने की कोशिश की कि किसी ने उसके मोबाइल का दुरुपयोग किया है। इस मामले में कोई जवाब देने को तैयार नहीं है। कई बार प्रयास के बावजूद भी विभागाध्यक्ष एके जैन ने न तो फोन उठाया और न ही कार्यालय में मिलने का समय दिया। वहीं प्रमुख सचिव अजय चौहान ने चीफ सेक्रेटरी की मीटिंग में व्यस्त होने की बात कह कर किनारा कर लिया।
एसटीएफ की जांच में दोषी, शासन का डंडा भी रहा बेअसर
इस मामले की पड़ताल में जुटी यूपी एसटीएफ ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गठित कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को लिखित में फेसबुक से आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में सूचना प्राप्त करने के लिए पत्र लिखा लेकिन फेसबुक से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद शिकायतकर्ता द्वारा फेसबुक पोस्ट के स्क्रीनशॉट का अवलोकन किया गया। इससे स्पष्ट हो गया कि मंसूर ने सत्ता के शीर्ष पर बैठे महत्वपूर्ण व्यक्तियों के खिलाफ न सिर्फ अमर्यादित टिप्पणी की बल्कि उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 का सीधा उल्लंघन भी किया।
जांचकर्ता ने दंड एवं अपील नियमावली 1999 के अंतर्गत विभागीय कार्रवाई की संस्तुति करते हुए जांच आख्या आला अफसरों को भेज दी। आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने डीजीपी से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद जांच रिपोर्ट को 22 अक्टूबर, 2020 को प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को भेज दिया। कोई कार्रवाई न होने पर तत्कालीन संयुक्त सचिव भास्कर पाण्डेय ने 4 जनवरी, 2021 को विभागाध्यक्ष को गोपनीय पत्र लिखकर इस प्रकरण में कार्रवाई करते हुए दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था।
मामला लिपिकीय संवर्ग से संबंधित होने के कारण तत्कालीन वरिष्ठ स्टॉफ ऑफीसर (परिवाद) इरफान अहमद ने 20 जनवरी 2021 को मुख्य अभियंता लखनऊ को पत्र लिखकर कार्रवाई की याद दिलाई, बावजूद इसके आज तक कोई कार्रवाई दोषी कर्मचारी के खिलाफ नहीं हुई।
संगठन से निष्कासित फिर भी जिला सचिव बताता है मंसूर
उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के लखनऊ जिले के सचिव के रूप में मंसूर अली को फरवरी 2020 में चुना गया था लेकिन लगातार गुटबाजी को बढ़ावा देने के आरोपों में मंसूर को प्रांतीय संगठन ने पिछले महीने निष्कासित कर दिया था। जिस पर उसने बागी गुट के कमल अग्रवाल के साथ हाथ मिला लिया और खुद को अभी भी जिला सचिव बताता है।
यहां तक कि नेतागिरी की आड़ में विभाग के आला अफसरों से लेकर शासन-सत्ता तक पत्र लिखता है जिसको लेकर प्रांतीय संगठन कई बार आपत्ति जता चुका है। शायद यही कारण है कि विभागीय अफसर भी उस पर हाथ डालने से कतराते हैं।
चीफ इंजीनियर का कड़ा कदम, सीएम के खिलाफ अभद्र टिप्पणी पर बाबू सस्पेंड
ऐसा ही एक दूसरा मामला बांदा निर्माण खंड से सामने आया है, जिसमें चीफ इंजीनियर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोषी कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया है। लोक निर्माण विभाग बांदा के चित्रकूट धाम क्षेत्रीय कार्यालय में कनिष्ठ सहायक के पद पर तैनात निजामुद्दीन ने अगस्त, 2021 में अपनी फेसबुक आईडी से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, जिसको लेकर थाना कोतवाली नगर बांदा में एक मुकदमा भी दर्ज कराया गया।
इस मामले की जांच अधीक्षण अभियंता बांदा द्वारा की गई जिसमें आरोपों को सही पाया गया और उन्होंने कार्रवाई की संस्तुति की, जिस पर चीफ इंजीनियर कन्हैया झा ने बीते 12 अक्टूबर को दोषी कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया। उनके द्वारा की गई कार्रवाई मुख्यालय में चर्चा का विषय बनी रही।
मुझे इस प्रकरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि मामला 3 साल पुराना है। यदि कोई शिकायत आई है तो उसे संज्ञान में लेकर नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-एके अग्रवाल, प्रमुख अभियंता, परिकल्प एवं नियोजन, लोनिवि
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